यह किसी भी सार्वजनिक जगह पर एक सामान्य अपेक्षा है कि लोग नागरिक बोध और संवेदनशीलता का परिचय दें और दूसरों का भी खयाल रखें। मगर हवाईअड्डे जैसी जगह पर कोई पायलट अगर खुद ही सुरक्षा जांच पंक्ति तोड़ने की ओर ध्यान दिलाए जाने पर बेकाबू और हिंसक हो जाए, तो यह एक गंभीर और चिंताजनक स्थिति है।
गौरतलब है कि दिल्ली हवाईअड्डे पर छोटा बच्चा साथ होने की वजह से एक यात्री और उसके परिवार को कर्मचारियों के लिए निर्धारित सुरक्षा जांच गेट से जाने को कहा गया था। मगर वहां कुछ कर्मचारी आगे निकलने की होड़ में थे।
खबर के मुताबिक, जब यात्री ने ऐसा करने पर टोका तो एक व्यक्ति ने उससे बदतमीजी की और उस पर हमला कर दिया। विडंबना यह है कि अपना आपा खोकर यात्री पर हमला करने वाला व्यक्ति पायलट है, जो उस वक्त ड्यूटी पर नहीं था।
सवाल है कि सुरक्षा-व्यवस्था के लिहाज से संवेदनशील मानी जाने वाली हवाईअड्डे जैसी जगह पर ऐसा कैसे संभव हुआ।
यह सही है कि घटना के वक्त हमलावर हो जाने वाला पायलट उस वक्त ड्यूटी पर नहीं था, लेकिन उससे किस तरह के बर्ताव की उम्मीद की जाती है। अगर विमान में कभी बेहद विषम और उथल-पुथल से भरे हालात पैदा हो जाएं, तो ऐसे में भी ड्यूटी पर मौजूद पायलट को शांति और धीरज से काम लेना पड़ता है, परेशान यात्रियों की बातों को सुनना और उन्हें समझाना होता है।
संभवत: यह पक्ष पायलट बनने के प्रशिक्षण में भी शामिल होगा। हैरानी की बात है कि एक मामूली बात पर ऐसा व्यक्ति नाहक ही हिंसक हो गया, जो खुद पायलट है और विमान उड़ाने जैसी बेहद संवेदनशील जिम्मेदारी भी निभाता है।
घटना सामने आने के बाद संबंधित पायलट को ड्यूटी से हटा देने की खबर आई। मगर इस पहलू पर भी विचार करने की जरूरत है कि पायलट और विमानन कंपनियों से जुड़े कर्मचारी अव्यवस्था के बीच क्या किसी तरह के दबाव और तनाव से गुजर रहे हैं और ऐसे में कई बार आपा भी खो रहे हैं! हाल के दिनों में विमानों की उड़ान में जिस तरह की व्यापक अव्यवस्था देखी गई, उसमें यह वाकया एक और नकारात्मक संदेश देता है।
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