अमेरिका में इसी वर्ष नवंबर में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं और मैदान में मुख्य रूप से दो उम्मीदवार हैं- मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। इसके लिए चुनाव अभियान की शुरुआत हो चुकी है और अलग-अलग चरणों में प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ रही है। गुरुवार को अमेरिका में बाइडेन और ट्रंप के बीच इस चुनाव की पहली बहस हुई, जिसमें सवाल-जवाब के दौरान दोनों उम्मीदवारों की कोशिश एक दूसरे पर हावी होने की रही, मगर इसमें बाइडेन की प्रस्तुति जैसी रही, उसके मुताबिक माना जा रहा है कि उनके लिए आगे की लड़ाई थोड़ी मुश्किल साबित होने वाली है। हालांकि सितंबर में अगली बहस होगी, मगर यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि उस समय हालात में कोई बड़ा बदलाव आ जाएगा।
दरअसल, बहस में उठे कई मुद्दों पर राय जाहिर करने के क्रम में बाइडेन के भीतर जिस तरह की अस्पष्टता और कमियां देखी गईं, उसके मद्देनजर अब उनके भविष्य को लेकर चिंता जताई जाने लगी है। खुद बाइडेन का खेमा अब शायद इन चुनावों में उनकी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है। मसलन, कई सवालों के जवाब में ट्रंप ने जहां सबका ध्यान खुद पर केंद्रित रखा, मुद्दों पर स्पष्ट रहे, वहीं बाइडेन एक तरह से बहस में चूक गए। कई बातों का जवाब देते हुए बाइडेन अटक रहे थे और काफी अस्पष्ट तरीके से बोल रहे थे। काफी समय तक उनकी जबान फिसलती रही। कई सवालों का उन्होंने जो जवाब दिया, उसका कोई अर्थ समझ में नहीं आया। उनके लिए अभियान चलाने वाले समूह को यह सफाई देनी पड़ी कि वे सर्दी से जूझ रहे हैं।
दूसरी ओर, कई तरह के आरोपों से घिरे होने के बावजूद ट्रंप ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की। यह बेवजह नहीं है कि राष्ट्रपति पद के लिए हुई पहली बहस के बाद बाइडेन के खेमे में एक तरह की आशंका पैदा हो गई है और अब उनके विकल्पों पर भी बात होने लगी है। संभव है कि इक्यासी वर्ष की उम्र में बाइडेन स्वास्थ्य संबंधी या अन्य किसी बाधा से गुजर रहे हों। मगर अमेरिका का नेतृत्व करने के लिए जिन कसौटियों पर खरा उतरना जरूरी है, उन पर अगर बाइडेन कमजोर दिखने लगे हैं तो क्या यह बेहतर नहीं होगा कि वे खुद ही देश के शीर्ष पद की दौड़ से बाहर हो जाएं!