कनाडा के बाद अब अमेरिका ने भारत द्वारा घोषित एक आतंकी और खालिस्तान समर्थक को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। वहां की खुफिया एजंसी एफबीआइ ने गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में एक भारतीय नागरिक को अति वांछित घोषित किया है। इससे संबंधित एक सचित्र पोस्टर भी जारी कर दिया है। एफबीआइ ने उसे भारतीय खुफिया एजंसी ‘रा’ का एजंट बताया है। उसके खिलाफ न्यूयार्क की एक अदालत में मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। हालांकि भारत सरकार ने एफबीआइ के इस आरोप का खंडन करते हुए कहा है कि वह व्यक्ति अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है।

कुछ समय पहले अमेरिका के सुरक्षा विभाग ने आरोप लगाया था कि दो भारतीय नागरिकों ने पन्नू की हत्या की साजिश रची थी, उसे मारने के लिए निशानेबाजों को पैसे भी दिए थे। इस संबंध में भारत और अमेरिका के सुरक्षा अधिकारियों की परस्पर बातचीत भी हुई, मगर अमेरिका अपने रुख पर अड़ा हुआ है कि इस तरह किसी दूसरे देश के नागरिक उसके देश में घुस कर उसी के नागरिक की हत्या की साजिश रचेंगे, तो यह अक्षम्य अपराध है। जिन दो भारतीय नागरिकों को साजिशकर्ता बताया गया है, उन पर मनी लांड्रिंग और गलत तरीके से धन की लेनदेन का भी मुकदमा दर्ज किया गया है।

कनाडा का आरोप है कि उसके एक नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय खुफिया एजंसियों के लोग शामिल थे। यहां तक कि उसने कनाडा में भारतीय दूतावास के अधिकारियों को भी इस साजिश में शामिल बता दिया। इसे लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया और भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए कनाडा से अपने सभी दूतों को वापस बुला लिया और कनाडा के दूतों को वापस भेज दिया। अब पन्नू मामले को तूल देकर एक तरह से अमेरिका कनाडा के साथ खड़ा हो गया है।

भारत पन्नू को घोषित कर चुका है आतंकी

इन दोनों देशों की अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्धता एक बात है, मगर उनके ताजा रुख से आतंकवाद को लेकर उनका दोहरा रवैया ही पता चलता है। विश्व व्यापार केंद्र पर आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने दुनिया भर के देशों से अपील की थी कि वे आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों। भारत शुरू से अमेरिका की इस मुहिम में साथ खड़ा रहा है। मगर विचित्र है कि भारत ने जिन आतंकियों को वांछित घोषित कर रखा है, उनके खिलाफ न तो कनाडा ने कभी सकारात्मक रुख दिखाया और न अमेरिका ने। जिस पन्नू को लेकर अमेरिका नागरिक अधिकारों की सुरक्षा का परचम फहरा रहा है, वह भारत का घोषित आतंकी है।

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यह कोई नई बात नहीं है कि कई देश अपने यहां आतंकवादी गतिविधियां संचालित करने वालों के खिलाफ दूसरे देशों में भी घुस कर अभियान चलाते रहे हैं। अमेरिका खुद अपने घोषित आतंकियों की पहचान कर दूसरे देशों की जमीन पर उन्हें मार चुका है। वह बड़े गर्व से इसका बखान भी करता रहा है, चाहे वह लादेन रहा हो, अल-जवाहिरी या कासिम सुलामानी। इजराइल भी यही काम करता रहा है।

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भारत तो उनसे अपने आतंकियों के खिलाफ उनसे कार्रवाई की मांग करता रहा है, उस पर ध्यान देना उन्हें जरूरी नहीं लगता। पन्नू मामले को इतना तूल देकर आखिर अमेरिका ने यही साबित किया है कि दूसरे देशों के खिलाफ आतंकी गतिविधियां चलाने वालों के प्रति उसका रवैया नरम है। उसके इस रुख से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और कमजोर होगी।