विमान यात्रा को सबसे सुव्यवस्थित सेवा के तौर पर जाना जाता है, जहां समय का पूरा ध्यान रखने के साथ-साथ लोगों को सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचाना एक सामान्य बात रही है। सभी विमान कंपनियां बेहतरीन सेवा देने के दावे के साथ लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। मगर पिछले कुछ समय से हवाई जहाज से कहीं आने-जाने की राह में कई स्तरों पर जिस तरह की चुनौतियां खड़ी हो रही हैं, उससे पता चलता है कि विमान सेवाओं की गुणवत्ता में अप्रत्याशित रूप से तेज गिरावट आई है। इसका खमियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि देश की सबसे बड़ी विमान सेवा मानी जाने वाली इंडिगो एअरलाइंस में परिचालन से संबंधित अड़चन गुरुवार को भी जारी रही और इसकी तीन सौ से ज्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द कर दिया गया। जो विमान अपने गंतव्य के लिए उड़ान भर सके, उनमें भी निर्धारित समय से देरी हुई। पिछले महीने इंडिगो की बारह सौ से ज्यादा उड़ानों के रद्द होने की खबर आई थी।
यात्रियों को समय रहते दी जानी चाहिए सूचना
अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी ज्यादा उड़ानें रद्द होने की वजह से हजारों यात्रियों के सामने किस तरह की परेशानी पैदा हुई होगी। कायदे से होना यह चाहिए था कि इतने बड़े पैमाने पर अगर किसी भी वजह से समस्या आ रही है, तो यात्रियों को समय रहते इसकी सूचना दी जाए। अगर लोगों को सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचाने की कोई भी सूरत निकल सके, तो इसे सुनिश्चित करना विमान कंपनी की जिम्मेदारी है। मगर ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने इंडिगो से कहीं जाने का टिकट लिया, उनकी न केवल उड़ानें रद्द हुईं, बल्कि उनके लिए किसी तरह का वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया गया।
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इस अड़चन के बाद कंपनी ने छोटी-मोटी तकनीकी गड़बड़ी, उड़ान समय में बदलाव, खराब मौसम, बढ़ती भीड़ और उड़ान ड्यूटी समय सीमा से संबंधित नए नियमों के लागू होने जैसे कारण बताए। मगर जितनी बड़ी तादाद में उड़ान रद्द या उनमें देरी हुई, क्या यह प्रबंधन और व्यवस्था में लापरवाही से लेकर सेवा में कमी का नतीजा नहीं है? यह छिपा नहीं है कि विमान का मनमाना किराया या अलग-अलग तरीके से ज्यादा पैसे वसूलने में कंपनियां कोई संकोच नहीं करती हैं। इंडिगो की उड़ानों में देरी और रद्दीकरण के कारण कई प्रमुख मार्गों पर किराए चार गुना से ज्यादा बढ़ा दिए गए। सवाल है कि अव्यवस्था के नतीजे में अगर किसी को दिल्ली से कोलकाता जाने के लिए अड़तीस हजार रुपए चुकाने पड़े, तो इसके लिए कौन जवाबदेह है?
बेहद जरूरी काम और जल्दी पहुंचने के लिए चुनते हैं हवाई यात्रा का विकल्प
आज बहुत सारे यात्री आमतौर पर कोई बेहद जरूरी काम और जल्दी पहुंचने के लिए हवाई यात्रा का विकल्प चुनते हैं। हाल के वर्षों में जैसे-जैसे विमान से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होनी शुरू हुई, तो एअरलाइंस कंपनियों ने ज्यादा सुविधाएं और सुरक्षित यात्रा का भरोसा देकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। मगर आज हालत यह है कि यात्री पहले टिकट लेकर हवाई अड्डा पहुंचते हैं और उसके बाद वहां उन्हें उड़ान रद्द होने या काफी देरी से जाने की सूचना दी जाती है।
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ऐसी अनेक घटनाएं सामने आईं, जिसमें उड़ान के बाद तकनीकी गड़बड़ी की वजह से किसी विमान को आपात स्थिति में उतारना पड़ा। अनिश्चित उड़ान और सुरक्षा से जुड़ी आशंकाओं के बीच आम यात्रियों को लेकर विमान कंपनी और सरकार की क्या जिम्मेदारी है? अगर किसी कारण से उड़ान में अड़चन पैदा हो रही है, तो उसे दूर करने का दायित्व किसका है?
