संदीप जोशी

बचपन में ब्रेडमैन के तीन ओवर में शतक जड़ने का किस्सा पढ़ा था। उनकी जीवनी पढ़ते समय उस शतक की हर गेंद के बारे में सोचा था कि यह कैसे संभव हो सकता है। तब आठ गेंद का एक ओवर होता था और आस्ट्रेलिया में खेला गया वह एक घरेलू मैच था। उस शतक पर आज हैरान हुआ जा सकता है। यह आज के किसी बल्लेबाज की महान डॉन ब्रेडमैन से तुलना भी नहीं है और न ही एबी डिविलियर्स की तुलना सचिन या उनके समय के अन्य बल्लेबाजों से करने की जरूरत है। लेकिन डिविलियर्स अपने आप में एक अनूठे, अद्वितीय और अदम्य बल्लेबाज जरूर हैं। डॉन ब्रेडमैन की तरह ही डिविलियर्स भी क्रिकेटीय लोकगाथा के ऐतिहासिक पात्र बन गए हैं।

इस बार का क्रिकेट विश्वकप आस्ट्रेलिया में खेला जा रहा है। जैसे जीवन में बदलाव निरंतर रहता है, वैसे ही क्रिकेट खेल भी बदलता रहा है। अगर फुटबॉल को लोकप्रिय खूबसूरत खेल कहा जाता है तो क्रिकेट अनिश्चित संभावनाओं का महान खेल माना गया है। खेल का अगर स्वरूप बदला है तो विरले खिलाड़ियों के नवप्रयोग ने क्रिकेट को तत्क्षण लोकप्रियता भी प्रदान की है। एबी डिविलियर्स ऐसे ही क्रिकेट के धैर्यवान, पर धाकड़ बल्लेबाज हैं। सिडनी में वेस्टइंडीज के खिलाफ बल्ले से उनने चौकों-छक्कों की धूम मचाई। उन्होंने जो पारी खेली वह ब्रेडमैन की पारी से ज्यादा हैरान करने वाली थी। छियासठ गेंदों पर नाबाद एक सौ बासठ रन बनाए और आखिरी तीन ओवर में सबको हैरान करते हुए अठहत्तर रन बना डाले। बल्ला लिए घोड़े पर सवार डिविलियर्स ने वेस्टइंडीज के गेंदबाजों को धूल चटा दी। उनकी बल्लेबाजी से बेचारी बनी वेस्टइंडीज टीम पर जैसे किसी ने बारूद के हथगोले से आक्रमण कर दिया हो।

पिछले महीने घरेलू मैदान पर वेस्टइंडीज के ही खिलाफ एकदिवसीय में डिविलियर्स ने अब तक का सबसे तेज और धुआंधार एकदिवसीय शतक जड़ा था। कुल चालीस मिनट की पारी में इकतीस गेंदों पर उनने शतक जड़ दिया था। विश्व भर के गेंदबाज उनके करामाती बल्ले के सामने नतमस्तक होते आ रहे हैं। कथक नर्तक की तरह क्रिज पर कदमों का इस्तेमाल करते डिविलियर्स गेंदबाजों पर कहर ढाते आ रहे हैं। बल्लेबाजी के करामाती कला-कौशल को उनके व्यक्तित्व के ठहराव से समझना अबूझ पहेली है। डिविलियर्स के जुगाड़ कौशल का कोई सानी नहीं है। डिविलियर्स के नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका को इस आस्ट्रेलियाई विश्वकप का अहम दावेदार माना जा रहा था। फिर भारत के खिलाफ खेलते हुए उनका प्रदर्शन बेहद फीका रहा। ढाई महीने से आस्ट्रेलिया में हारती भारतीय टीम को पहले पाकिस्तान और फिर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जरूरी जीत मिली। ‘चोकर्स’ यानी कठिन परिस्थिति में दम तोड़ने के आदी मानी जाने वाली टीम दक्षिण अफ्रीका पर इस बार भी वही दबाव रहेगा। लेकिन जब सब बदलता है तो ‘चोकर्स’ का छुग्गा क्यों नहीं बदल सकता है!

सिडनी में डिविलियर्स ने कभी और कहीं भी गेंदबाजों पर गिरने वाले कहर की चेतावनी दे दी है। शायद डिविलियर्स का बल्लेबाजी के लिए आना और गेंदबाजों की शामत आना पर्यायवाची है। भारत से हारने के बाद भी दक्षिण अफ्रीका का विश्वकप सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। इस प्रतियोगिता में सपाट हार-जीत मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका की टीम दमघोंटू मानसिकता से उबरने की क्षमता रखती है। उसे इसी मानसिकता से निकाल पाने का दम डिविलियर्स रखते हैं। वे अपनी टीम के चहेते और सम्मानीय हैं और उन्हें साथियों का साथ भी पूरा मिलेगा। कभी नहीं जीतने वाली टीम भी कभी जीत सकती है। यह विश्वास दक्षिण अफ्रीका को आत्मविश्वासी डिविलियर्स ही दिला सकते हैं।

भारत सबसे बड़ा बाजार जरूर है, लेकिन बाजार भी हर समय बेचने के लिए नया ही तलाशता है। क्रिकेट खेल के संभ्रांत बाजार को डिविलियर्स नया उत्सव प्रदान करते हैं। बल्लेबाजी में हो सकने वाले प्रयोगों को वे नई उर्जा और ताजी बयार देते हैं। उनके बल्ले की करामाती कला निराली है। कभी वे तलवार की तरह गेंदों को काटते हैं तो कभी बल्ले से भाले की तरह गेंदों पर प्रहार करते हैं। दोनों विपरीत कलाओं के लिए उनके पास पर्याप्त कौशल और समय है। उनके सरल व्यवहार की सौम्यता बल्ले से निकलने वाले शौर्य का अंदाजा नहीं देती है। शूरवीर के लिए शौर्य ही उसका अनुशासन है। आज के समय के इकलौते ब्रेडमैन हैं। आस्ट्रेलियाई विश्वकप में दक्षिण अफ्रीका लोकप्रिय दावेदार है। दमघोंटू परिस्थिति में ही दमदार का परीक्षण होता है। बाजार केवल खेलों का प्रसारण भर करता है।

 

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