सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’
एक था एकलव्य। वही, जिसके अंगूठे की कहानी सदियों से सुनते आ रहे हैं। यह प्राचीन कहानी वर्तमान में भी प्रासंगिक लगती है। श्रम की रोटी के लिए तरसने वाला प्राचीन समय में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करने का साहस नहीं कर पाता था। अगर कोई साहस करता तो एकलव्य के अंजाम को प्राप्त होता। यह उस समय का अलिखित संविधान था। जबकि आज के लिखित संविधान में शिक्षा का अधिकार सबके लिए है।
बावजूद इसके, कमोबेश आज भी परिस्थितियां वैसी ही हैं। कहते हैं, जब-जब समान अवसर के अंगूठे कट कर गिरे हैं, तब-तब कोई न कोई एकलव्य छल-कपट का शिकार हुआ है। वही परिस्थितियां आज भी हैं। अब एकलव्य नहीं, अनेकलव्य दिखाई देते हैं। सामाजिक पिछड़ापन निरंतर जारी है। स्वाभाविक है, जो सामाजिक रूप से पिछड़े होंगे वे आर्थिक रूप से भी पिछड़े होंगे। वर्तमान में आर्थिक असमानता जिस तेजी से बढ़ रही है, वह दिन दूर नहीं, जब देश को असंतुलित करने वाले अनेक कारक उभर कर आएंगे।
वर्तमान में एक नई असमानता दिखती है। वह है- डिजिटल असमानता। यह असमानता भविष्य के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही है। अगर डिजिटल मंच पर सौभाग्यशाली के साथ दुर्भाग्यशाली बच्चों को भी समान अवसर मिले, तो वे सामाजिक, आर्थिक रूप से प्रगति कर देश के विकास में हाथ बंटा सकते हैं।
आमने-सामने की पढ़ाई से अचानक आनलाइन माध्यम में स्थानांतरित होने से शिक्षा प्रदान करने का स्वरूप बिलकुल बदल गया है। इस आनलाइन शिक्षा को आपातकालीन ‘रिमोट टीचिंग’ कहा जा रहा है। ‘आनलाइन एजुकेशन’ और ‘इमरजेंसी आनलाइन रिमोट एजुकेशन’ में बहुत अंतर है। आनलाइन शिक्षा अच्छी तरह से अनुसंधान के बाद अभ्यास में लाई जा रही है। बहुत से देशों में शिक्षा का यह माध्यम कई दशक से चल रहा है, ताकि पाठ्यक्रम को आनलाइन उपलब्ध कराया जा सके। इसके मुकाबले हमारे देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में इसकी उपलब्धता काफी कम है। अब अगर शिक्षण संस्थानों में आनलाइन शिक्षा आरंभ करनी है, तो उन्हें इस ‘रिमोट आनलाइन एजुकेशन’ और नियमित आनलाइन पढ़ाई के अंतर को ध्यान में रख कर अपनी तैयारी करनी होगी।
आनलाइन शिक्षा पद्धति के लिए घर में एक कंप्यूटर होना चाहिए। टैब या स्मार्टफोन से भी काम चल सकता है। निरंतर बिजली, इंटरनेट आदि की सुविधाएं होनी चाहिए। दूसरी ओर, चाक-चौबंद अध्यापकों की उपस्थिति अनिवार्य है। इतना होने के बावजूद जिस तरह कक्षा में अध्यापकों के समक्ष छात्र बैठे रहते हैं, वैसी स्थिति आनलाइन में नहीं रहती।
इसलिए शिक्षण को रुचिकर बनाने वाले संसाधन मुहैया करवाना अनिवार्य बन जाता है। सबसे महत्त्वपूर्ण, शिक्षण सरकारी दिशा-निर्देश के अनुरूप होना चाहिए। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा पहुंचाने के लिए सबसे पहले अध्ययन सामग्री छात्रों तक पहुंचाना चाहिए और इसके बाद आनलाइन वीडियो के माध्यम से शिक्षकों के साथ पारस्परिक विचार-विमर्श किया जा सकता है। आनलाइन शिक्षण चर्चाओं, आभासी कक्षाओं और बातचीत के लिए विस्तारित कक्षा समुदाय बनाया जा सकता है।
एक और विकल्प है, जिसमें कक्षा के पाठ्यक्रम को एक वास्तविक समय में रिकार्ड किया जा सकता है और इन कक्षाओं में शामिल न होने वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह शिक्षा की विस्तृत पहुंच बनाता है। ग्रामीण शिक्षा के लिए ई-लर्निंग प्रौद्योगिकी की जरूरत है। ग्रामीण भारत में आडियो और वीडियो कान्फ्रेंसिंग को शिक्षा प्रणाली का एक प्रमुख हिस्सा बनाना चाहिए।
अब दूसरा पक्ष है इंटरनेट उपलब्धता का। देश में डिजिटल विभाजन के चक्कर में लिंग भेद, शहरी-ग्रामीण का अंतर हमें पाताल लोक तक ले जाता है। इन सबके बीच निजी विद्यालयों का आतंक चरम पर पहुंच गया है। वे मोटी-मोटी फीसें वसूलने के चक्कर में गुणवत्ताहीन आनलाइन शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं। एक सर्वे के अनुसार इनकी शिक्षा का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे देश में मात्र कुछ प्रतिशत छात्र आनलाइन शिक्षा को समझ पा रहे हैं। इंटरनेट प्रणाली अभी कुछ छात्रों तक सीमित है।
इसका लाभ सभी छात्र उठा नहीं पाते हैं। इंटरनेट गति भी एक बड़ी समस्या है। फिर आज भी कई मध्यवर्गीय परिवारों में स्मार्टफोन जैसी मूल सुविधा उपलब्ध नहीं है। हर शिक्षण संस्थान का अपना शैक्षिक बोर्ड, विश्वविद्यालय है, जिसमें अलग-अलग पाठ्यक्रमों के अनुसार शिक्षा दी जाती है। पाठ्यक्रम की असमानता सबसे बड़ी चुनौती है। कई विषयों में व्यावहारिक शिक्षा की जरूरत होती है। तकनीकी समझ भी सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह शिक्षा प्राप्त करने का नया माध्यम है।
आनलाइन शिक्षा में संभावनाओं की बात करें तो आधुनिक युग में इसका उपयोग बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। आने वाले समय में देश में इस शिक्षा प्रणाली के अपार अवसर हैं, इसलिए आनलाइन शिक्षा सोच-समझ कर देने की आवश्यकता है। अन्यथा किसी भी प्रकार का गलत निर्णय डिजिटल समानता के अंगूठे काट कर अनेकलव्यों को जन्म दे सकता है।