मीना बुद्धिराजा

अस्तित्व का संघर्ष मनुष्य के जीवन की बुनियाद है। अपने समय, युग की समस्याओं और चुनौतियों से अस्तित्व का संघर्ष सृष्टि का आधारभूत सिद्धांत है और मानवता का भी। एक स्वतंत्र मानवीय इकाई होने के बावजूद व्यक्ति समाज का एक समूह का ही अभिन्न अंग है। उसका जीवन प्रकृति, काल के परिवर्तन और अपने परिवेश की बदलती परिस्थितियों का परिणाम है और उनसे संबद्ध विशेष प्रकार के अंतर्विरोधों से पैदा होता है, जिसके अतिरिक्त उसके पास कोई विकल्प नहीं होता। मानवता की जीवनी शक्ति हमेशा नई संभावनाओं को खोजने और पाने में होती है जहां जीवन असंख्य चुनौतियों की तरह उसके सामने हर एक काल और युग में उपस्थित रहता है। इसलिए उसे सभी संवेदनाओं का, अनुभवों का, संघर्ष का हिस्सा बनना पड़ता है और कठिनतम समय में धारा के विरुद्ध भी तैरना पड़ता है । वर्तमान में मानवीय नियति की क्रूर परिस्थितियों और निर्ममताओं से लड़ते हुए भी भविष्य के लिए उम्मीद को जीवित रखना पड़ता है।

इस सदी में भी मनुष्य ने विशाल आंतरिक क्षरण और बाहरी विध्वंस को ज्यादा नजदीक से देखा और भोगा है और विशिष्ट रूप से भोगे हुए आसन्न मृत्यु बोध के अनुभवों को भी व्यापक आयाम और गहन मानवीय परिप्रेक्ष्य में देखा है। भय, अनिश्तिता, अवसाद, पराजय और पीड़ा को जीते हुए भी प्रतिकूल और विषम परिस्थितियों में भी मनुष्य मूल रूप से अपने भीतर की जिजीविषा और राग दृष्टि को बचाए रखना चाहता है। यह उसके मूलभूत साहस और बुनियादी चेतना की अदम्य आकांक्षा की उपस्थिति है, जिसे वह सामूहिक पीड़ा, त्रासदी, अंतरंग विलाप, जड़ता, शोक और सघन दुखों में भी स्पंदित रखता है। भयावह स्मृति के अंधकार और वर्तमान के आलोक के अंतर्संघर्ष में यथार्थ की दो समांतर दुनिया में एक साथ मनुष्य अपनी चेतना को रूपांतरित करता है। जीवन और प्रकृति के तत्त्वों से छन कर आते सत्य उसे जीवन के पक्ष में लौटने के लिए बाध्य करते हैं जो समष्टि की चेतना के आधार हैं।

इस जटिल वैयक्तिक और सामाजिक आघातों से भरे गहरे सन्नाटे से विच्छिन्न समय में आतंरिक अपूर्णता और भयावह रिक्तता में जीवन जीना कठिन और दुष्कर है। ऐसे समय में अपने जीवट को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है। सच कहें तो यह एक सबसे कठिन परीक्षा की घड़ी है, जिसमें थोड़ा धैर्य चूक गए तो अपने जीवन या फिर जीवन-तत्त्व को खो देंगे और संभाल सके तो अपने साथ-साथ बहुत कुछ बचा लेंगे। हालांकि बचना और बचाना कौन नहीं चाहता है, लेकिन इस क्रम में जरा-सा संतुलन अनियंत्रित हुआ कि बहुत कुछ गंवा दिया जा सकता है और संतुलन बरकरार रह सका तो बहुत कुछ बच जाएगा।

दरअसल, इस सदी की विराट त्रासदी और मानवीय संकट के तनाव में उस वास्तविक अनुभव को हम फिर से पाना चाहते हैं, जहां हम अपने होने का मानवीय अर्थ एक बार फिर से रच सकें। इस समय की मनुष्यता की सबसे बड़ी क्षति में सृजन का कोई नया सूत्र खोज सकें और काल के प्रवाह में कोई चिह्न छोड़ सकें। मानव की नियति के इतिहास में यह कालखंड इसलिए दर्ज होगा कि मनुष्य के जीवन की विडंबनाओं और अस्तित्व की विशाल और जटिल समस्याओं का कोई सरल समाधान कभी संभव नहीं होता।

परिवर्तन के अनेक चरणों और बदलावों के अनेक प्रभावों और असाधारण परिस्थितियों से संघर्ष करके, दुर्गम चुनौतियों से जूझ कर ही मनुष्यता जीवन की पुनर्रचना कर सकती है। अतीत से लेकर आज तक यह साबित हुआ है कि प्रकृति या फिर अन्य शक्तियों के हमले के बाद सब कुछ नष्ट होने के बावजूद मनुष्य ने फिर से जीवन को रचा है और फिर से सभ्यता को खड़ा किया है। यह मनुष्य की जिजीविषा की ही कहानी है कि वह उसे हर बार बचा लेती है और फिर से नई दुनिया बन जाती है।

समकालीन समय के यथार्थ को परिभाषित करना बहुत मुश्किल है और इस त्रासद वास्तविकता को पकड़ पाना असंभव और चुनौतीपूर्ण है। लेकिन चुनौतियों से जूझने वालों के सामने कुछ भी कितने दिनों तक छिपा और अनसुलझा रह पाया है। मनुष्य का अस्तित्व व्यवस्था की संरचना में अपने ही अर्थों से टकरा कर खुद को खोज रहा है। यह भीषण त्रासदी उसे बाहर से ही नहीं, उसके भीतरी अस्तित्व की निरंतरता को भी छिन्न-भिन्न कर रही है। एक स्मृति दूसरी स्मृति को, एक संवेदना दूसरी संवेदना को विस्थापित कर रही है। व्यक्ति अकेले होते हुए भी आखिरकार एक बड़े मानवीय समूह का अभिन्न अंग है, इसलिए वह उम्मीद को समाप्त नहीं करता। इसीलिए जीवन की सार्थकता के सभी मूलभूत प्रश्न तमाम संदर्भों में और भी जरूरी लगने लगते हैं।

एक प्रत्याशा के साथ मनुष्य जीवन की रिक्तता और अपूर्णता को भरना चाहता है, क्योंकि अपने समय के संकट, निराशा और विध्वंस के अंधकार से गुजरते हुए भी मानवता के भविष्य की सभी संभावनाओं को बचाना पड़ता है। हर युग में हर किसी को अपने अनंन और अपना प्रारंभ दोबारा निर्मित करना पड़ता है, क्योंकि जीवन के संघर्ष से पलायन मनुष्य के स्वभाव में नहीं है और वह इसके लिए सबसे अमानवीय और विरोधी समय में भी तैयार रह सकता है।