राजेंद्र मोहन शर्मा

कहानियों का एक संवाद है पाठकों के साथ। कहानियां रात ढले जब नींद छलने लगती है, तब उनके आखर बच्चे की तरह बांहों में भर लेते हैं। जब कहानियां पंचतंत्र में गूंथी जाती हैं, भावों को समेटना पड़ता है, तो वे दादी-नानी के मुख से झरने-सा प्रवाह पाकर निहाल हो जाती हैं। कहानियां मन के मौसम के साथ उड़ती हैं। कभी कुछ साथ चलती हैं तो कभी कुछ रूठ कर छूट जाती हैं। जब ढोल चिरैया लिखना होता है, तो वे आंधी-पानी से भी मुठभेड़ कर गुजरती हैं। जब धन-दौलत की कहानी लिखी जाती है, तो वे कंगाली की जाजम बिछा कर पसर जाती हैं। मूंगे-मणियां लिखते हुए कहानियां सोना-चांदी-सी दमकने लगती हैं। बतियाते हुए जब चलते-चलते थक जाने पर किसी पेड़ तले सुस्ताने की पनाह देती हैं। मचलता मन जब धुप गुनगुनी लिखता है, तो शाम सुहानी कहानी सिरहाने थपकी देने आती है।

आज का विचार और सोशल मीडिया है जो कहानियों के अल्फाजों में समा जाता है

चैतन्य की हलचल आज का शब्द, आज का विचार और सोशल मीडिया है जो कहानियों के अल्फाजों में समा जाता है। कहानी लिखी जाती है चुनिंदा अक्षरों से तो बस सोचना हो जाता है मन की मस्तियों से और खोज ली जाती है शब्द कल्पना के घरों से। पहले रात इतनी अंधेरी न थी, पता चला अंधियारों में बैठकर कहानियों को गूंथते हुए। जिनसे कसीदे लिखे गए थे, वह फेंक दिया है कलम कहानी के किरदारों ने। फिर दिल से, सच्ची कलम से वे अफसाने लिखे गए, जिन्हें रोजनामचों में कहीं जगह नहीं मिलतीं। वे बसर करने लगे हैं कहानियों में। अब ये हर रोज, हर जगह की वे वारदात लिखती हैं, जो तंग नजरिए के सारे दायरे तोड़ देती हैं।

अब खुली फिजाओं में कायनात लिखती हैं। जो वाकयात हैं, उनका तो जिक्र करती ही हैं, लेकिन जो होने चाहिए, वह भी सलीके से लिख रही हैं ये रवानियां। इस बगीचे में देखी जानी है फिर से बहार। इसलिए डाल-डाल, पात-पात पर लिखी जाती हैं कहानियां। मगर सच का आलम यह है कि जो लिखना चाहा गया, वह लिखा नहीं गया। नींद में सारे ख्वाब मिट गए हैं, अल्फाज खो गए हैं। इक खामोशी का का बीज खयालों में उगने लगता है तो ताजी हवाओं की मानिंद बारिश के झोंकों संग कहानियों के रूप में सामने आ खड़ी होती हैं। जब सारे खयालों के अक्षर धुंधले होकर बहने लगे, तब आंसुओं ने जो भी देखा, उसी को समेट लिया कहानियों ने।

सच कहा जाए तो दिल में जो आग जलती है तो फिर कोई रंग-रूप न बचा इस दर्द के करीब। आशा-निराशा मिट गई। दिल में कोई भी शौक-तमाशा शेष नहीं रहा। दुनियादारी में लोग कहते हैं, मगर अपने लिए तो कोई भी भला मंजर नहीं रहा है। सलीके वाली आंखें नहीं रहीं। ऐसे में जब खामोशी है, बातें नहीं रहीं, तो बीड़ा उठाया कहानियों ने। जब सब पारा-पारा हो गया और खाली-सा मकान रह गया, कुछ नहीं रहा जेहन में, तब बस लिखी जाती हैं कहानियां। चारों और घिरे हैं कदम कांटों से। कहां रखे जाएं संभाल कर कि कोई रास्ता नहीं है। तब मंजिल दिखाई कहानियों ने। दरअसल, खोई हुई आवाजों को अवसर देती हैं ये हैं ये कहानियां।

रचनात्मकता की रोचकताओं से भरा एक उत्पाद है कहानी। कहानी परिमित सीमाओं में नहीं रह सकती। इसलिए उसने अपने लिए विराटतम घर बनाया, असीमित सीमाओं वाले ब्रह्मांड के दूसरे रूप मन को। इसीलिए अपने मूल स्रोत मन से उत्सर्जित होकर रचनात्मक यात्रा करती हैं कहानियां। मन, पात्रों, घटनाओं और विचार की रचनात्मकता को एक घर देता है। मन अपने घर को अपनी ऊर्जा से भर देता है और उसे एक करिश्माई क्रम में संचालित रखता है।

यह एक आश्चर्यजनक संतुलन प्रदान करता है। मन ही सब कुछ रचता है। इसका स्वभाव कहता है कि कुछ भी अपरिवर्तित नहीं रहना चाहिए। सार्वभौमिक, रचनात्मकता की अपनी भव्य यात्रा में कहानिकारों ने जीवन-प्रक्रियाओं को रूपांतरित कर आभामंडल का निर्माण किया। इस जीवन मंडल में कहानी की असाधारण भूमिका है। कहानियों के संश्लेषण-विश्लेषण के माध्यम से यह जीवन चक्र बढ़ता है। फिर यह जीवन विविध-धाराओं में प्रवाहित होने लगता है।

यह विशाल, अथाह और अद्भुत जीवन जो है, कहानी इसे विविधता का स्वरूप देती है। यह अपनी रचनात्मकता के सभी रंगों को सभी प्रजातियों में, उनकी रज में, विविध परिदृश्यों में फैले विविध तंत्रों में, जल में, भूमि पर, मिट्टी में और वातावरण में फैलाती हैं कहानियां। इस जीवन मंडल ने अपने प्रकाश के लिए, अपनी सुंदरता को बुनने और पूरे जीवन में अपने परमानंद को प्राप्त करने के लिए सबसे गौरवपूर्ण ताना-बाना बुना है कहानियों का।
नील-सुंदरी है हमारी पृथ्वी! यही तथ्य अन्य अनुपूरक तथ्यों को जन्म देता है। यहां प्रकृति सुंदर है, लेकिन जीवन अधिक सुंदर है। अचल की तुलना में सचल चीजें अधिक आकर्षक हैं और यही है जीवन की सुंदरता। जीवन अधिक सुंदर हो और इस जीवन को बढ़ाने-विस्तार देने वाला सबसे सुंदर उपाय के रूप में है हमारे पास कहानी। तो सब मिल कर एक कहानी रचें जो जीवन को अधिक सरस और आनंदमयी बनाए।