केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पूर्व सीईओ और प्रबंध निदेशक रवि नारायण को मनी लॉन्ड्रिंग मामले और अवैध फोन टैपिंग घोटाले के संबंध में मंगलवार, 6 सितंबर को गिरफ्तार किया है। ईडी ने इससे पहले कथित फोन टैपिंग मामले में एनएसई की एक अन्य पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को गिरफ्तार किया था, जबकि सीबीआई ने उन्हें को-लोकेशन मामले में गिरफ्तार किया था। इसी मामले में ED ने पहले मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय को गिरफ्तार किया था।
कौन हैं रवि नारायण?
रवि नारायण साल 1994 से 2017 तक NSE का सक्रिय हिस्सा रहे। रवि नारायण साल 1994 से 2013 के बीच अलग अलग पदों पर NSE से जुड़े रहे। रवि नारायण, अप्रैल 1994 से लेकर मार्च 2013 के बीच वो NSE के एमडी और सीईओ रहे थे। फिर अप्रैल 2013 में उन्हें गैर-कार्यकारी उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। हालांकि, जून 2017 में रवि नारायण ने इस्तीफा देकर एक्सचेंज छोड़ दिया था।
रवि नारायण को क्यों गिरफ्तार किया गया?
फेडरल जांच एजेंसी दो आपराधिक मामलों में पूर्व एनएसई प्रमुख रवि नारायण की भूमिका की जांच कर रही है। जिनमें से एक को-लोकेशन स्कैम है जबकि दूसरा कर्मचारियों के अवैध रूप फोन टैपिंग से जुड़ा मामला है। दरअसल, फोन टैपिंग के केस को एनएसई को-लोकेशन स्कैम से जोड़ा गया है, जो कि करीब एक दशक से अधिक पुराना मामला है। ईडी के अनुसार, नारायण ने एनएसई के कर्मचारियों के अवैध रूप से फोन टैप मामले में भूमिका निभाई थी, जिसका लिंक मनी लॉन्ड्रिंग से भी था। इसी में नारायण की गिरफ्तारी हुई है।
क्या है को-लोकेशन घोटाला?
करीब एक दशक पुराने को-लोकेशन घोटाले मामले में आरोप थे कि NSE बिल्डिंग में मौजूद को-लोकशन फैसिलिटी में एक ट्रेडिंग मेंबर ओपीजी सिक्योरिटीज को साल 2012 से 2014 के बीच गलत तरीके से जगह दी गई थी। आरोप यह भी थे कि NSE के एक कर्मचारी के मदद से इस ट्रेडिंग मेंबर ने सर्वर ने छेड़छाड़ कर को-लोकेशन फैसिलिटी में मौजूद दूसरे ट्रेडिंग मेंबर्स से पहले डाटा जुटाना शुरू कर दिया। जिसके चलते ओपीजी सिक्योरिटीज के एल्गो ट्रेडर्स, शेयर की खरीद-बिक्री में दूसरों से आगे हो गए और कई बड़े निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
रवि नारायण पर अदालत में यह बोली थी ED
रवि नारायण की गिरफ्तारी ऐसे मौके पर हुई है, जब ईडी ने बीते सप्ताह ही दिल्ली की एक कोर्ट को यह बताया था कि नारायण के साथ अन्य आरोपियों में मिलकर NSE और उसके कर्मचारियों को धोखा दिया। ईडी ने कोर्ट ने रवि समेत अन्य आरोपियों ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे से जुड़ी कंपनी आइजेक (iSEC) सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर NSE के कर्मचारियों की अवैध फोन टैपिंग कराई। यह सब आरोपी एनएसई की साइबर वीकनेस को जांचने वाली रिसर्च के नाम पर कर रहे थे।