Who Was Chalapati: छत्तीसगढ़ के जंगल में कल रात वामपंथी उग्रवाद (LWE) के क्षेत्र को साफ करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए सबसे सफल अभियानों में से एक में 20 माओवादियों को मार गिराया गया। मारे गए माओवादियों में सबसे प्रमुख नाम जयराम रेड्डी का है। जयराम रेड्डी को कई दूसरे नामों से भी जाना जाता था, जिसमें – रामचंद्र रेड्डी, अप्पाराव और रामू शामिल है।
हालांकि, सबसे फेमस नाम चलपति था। वो माओवादी रैंकों में एक वरिष्ठ नेता था, जिसे कल रात छत्तीसगढ़ के जंगल में 13 अन्य सहयोगियों के साथ मुठभेड़ के दौरान मार गिराया गया।
कौन थे जयराम रेड्डी?
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 60 साल का चलपति, आंध्र प्रदेश के चित्तूर के मदनपल्ले का रहने वाला था। उसने कक्षा 10 तक पढ़ाई की थी। अपनी मामूली पढ़ाई लिखाई के बावजूद, वो माओवादी रैंकों में प्रमुखता से उभरा और संगठन के अंदर शीर्ष फैसले लेने वाली संस्था सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) के कैडर बन गया।
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इस तरह के महत्वपूर्ण पद, जिसने उसे प्रतिबंधित संगठन के सेंसिटिव ऑपरेशन से अवगत कराया, के लिए ही उसके ऊपर 1 करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था। इनाम की राशि ये भी बताती है कि वो सुरक्षा बलों के लिए कितना महत्वपूर्ण टारगेट था। चलपति बस्तर के घने और लगभग अभेद्य जंगलों से परिचित था। 8-10 निजी सुरक्षाकर्मियों से लैस उसकी सिक्योरिटी टीम माओवादी नेटवर्क में उसके महत्व का सबूत है।
इस कारण बन गया था कुख्यात माओवादी नेता?
एके-47 और एसएलआर राइफल जैसे आधुनिक हथियारों से लैस चलपति एक दिग्गज माओवादी नेता था, जिसने रणनीति बनाने और ऑपरेशन का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसकी सामरिक विशेषज्ञता, नेतृत्व कौशल और चुनौतीपूर्ण इलाकों में संसाधनों को जुटाने की क्षमता ने उसे क्षेत्र के सबसे वांटेंट माओवादी नेताओं में से एक के रूप में कुख्यात बना दिया।
चलपति ने कुछ महीने पहले अबूझमाड़ में बढ़ती मुठभेड़ों के मद्देनजर अपना ठिकाना गरियाबंद-ओडिशा सीमा पर ट्रांस्फर कर दिया था, जिसे एक सुरक्षित ऑपरेशनल क्षेत्र माना जाता था। हालांकि, चलपति और उनके सहयोगी – जिनकी पहचान अभी नहीं हो पाई है – जिला रिजर्व गार्ड, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, छत्तीसगढ़ के कोबरा कमांडो और ओडिशा के विशेष ऑपरेशन ग्रुप की संयुक्त टीम के साथ गोलीबारी के दौरान मारे गए।
सुरक्षा बलों ने इस खुफिया जानकारी के आधार पर ऑपरेशन शुरू किया कि कुछ माओवादी ओडिशा सीमा से लगभग 5 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के कुलारीघाट रिजर्व वन में छिपे हुए हैं। मुठभेड़ स्थल पर सेल्फ-लोडिंग राइफल, गोला-बारूद और बम सहित बंदूकें मिली हैं।
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देश में माओवादियों के खात्मे की घोषणा करने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे “बड़ी सफलता” बताया। उन्होंने एक ऑनलाइन पोस्ट में कहा, “नक्सलवाद को एक और बड़ा झटका। हमारे सुरक्षा बलों ने नक्सल मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की…नक्सल मुक्त भारत के हमारे संकल्प और हमारे सुरक्षा बलों के संयुक्त प्रयासों से नक्सलवाद आज अपनी अंतिम सांसें ले रहा है।”
सरकार माओवादियों को हिंसा से दूर रखने और मुख्यधारा में वापस लाने की कोशिश कर रही है। पिछले साल कम से कम 800 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि 802 अन्य चरमपंथियों ने अपने हथियार डाल दिए थे। सुरक्षा बलों ने पिछले साल 219 माओवादियों को मार गिराया था। इनमें से 217 लोग बस्तर क्षेत्र से थे, जिसमें बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव और सुकमा जिले शामिल थे।