आज कहानी फिलिस्तीनी पॉपुलर फ्रंट के संस्थापकों में से एक वादी हद्दाद की, जो इजराइल का जानी दुश्मन था। वादी हद्दाद को अबू हानी के नाम से भी जाना जाता है। वादी हद्दाद को 1960 और 1970 के दशक में फिलिस्तीनी गुरिल्ला आंदोलन, कई विमान अपहरणों के साजिशकर्ता के रूप में जाना जाता था। जिनमें से सबसे कुख्यात एंटेबे विमान अपहरण था, इसमें करीब 106 लोगों को बंधक बना लिया गया था।
वादी हद्दाद का जन्म 1927 में फिलिस्तीनी ईसाई परिवार में हुआ था। साल 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान जब उनका घर नष्ट हो गया तो उसे परिवार समेत लेबनान भागना पड़ा था। इसके बाद हद्दाद ने बेरूत के अमेरिकी विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। यहीं उसकी मुलाकात फिलीस्तीनी शरणार्थी जॉर्ज हबाश से हुई थी, जिसके साथ मिलकर उसने 1967 में पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन (पीएफएलपी) की स्थापना की थी।
वादी हद्दाद समूह के सैन्य विंग का लीडर बन गया और फिर इजराइल के ठिकानों पर हमलों की साजिश रची। जुलाई 1968 से एक इजरायली विमान एल-अल के अपहरण से शुरू हुआ सिलसिला 1972 में तब जाकर खत्म हुआ था, जब उसे पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन से बाहर कर दिया गया था। साल 1970 में वादी हद्दाद ही वह शख्स था, जिसने डावसन फील्ड हाईजैकिंग की साजिश रची थी। इन हाईजैकिंग में लैला खालिद सहित पीएफएलपी के कई सदस्य शामिल थे।
हद्दाद ने इस दौरान ब्लैक सितंबर की खूनी लड़ाई को भड़काने में भी खूब मदद की थी। हद्दाद ने कार्लोस द जैकाल को भी 1970 में अपने साथ लिया और वियना ओपेक सम्मेलन पर हमले की घटना को अंजाम दिलवाया था। हालांकि, कार्लोस ने सऊदी और ईरान के दो मंत्रियों को भारी रकम के बदले में आजाद कर कर दिया था।
फिर वादी हद्दाद ने जून 1976 में एंटेबे अपहरण को अंजाम दिया, जिसे मोसाद ने ऑपरेशन थंडरबोल्ट चला असफल कर दिया था। इसी के बाद से वह मोसाद की हिट लिस्ट में शामिल हो गया था। बड़े दिनों के बाद मोसाद ने उसे इराक के बगदाद में ढूंढ निकाला था। जिसके बाद मोसाद ने वादी हद्दाद के साथ काम करने वाले साथी को अपने साथ मिलाया और टूथपेस्ट में जहर देकर उसे मार डाला था।