उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक चौंकाने वाला सामने आया है। जिसमें पता चला कि एक पाकिस्तानी नागरिक ने राम जानकी मंदिर और अन्य संपत्तियां बेच दी। हालांकि, अब इस मामले में शत्रु संपत्ति के कार्यालय के संरक्षक ने मंदिर और दो अन्य संपत्तियों को ‘शत्रु’ संपत्ति के रूप में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं, मंदिर को खरीदकर तोड़ने और फिर होटल बनाने वालों को भी नोटिस भेजा गया है।
शत्रु संपत्ति के संरक्षक कार्यालय के मुख्य पर्यवेक्षक और सलाहकार कर्नल संजय साहा ने कहा कि इस मामले में लोगों को नोटिस भेजा गया है। उनके पास इस संबंध में जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। कर्नल संजय साहा ने बताया कि, “हमने उन्हें पांच विशिष्ट सवालों के साथ नोटिस भेजा है और उनके जवाबों का हमें इंतजार हैं। हालांकि, अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।”
दरअसल, साल 1982 में आबिद रहमान नाम के एक पाकिस्तानी नागरिक ने बेकनगंज में मुख्तार बाबा नाम के शख्स को जमीन का एक हिस्सा बेच दिया। कागजों में जमीन का यह हिस्सा मंदिर परिसर के रूप में दर्ज है। इसी मंदिर परिसर में मुख्तार बाबा, कभी साइकिल मरम्मत की दुकान चलाते थे। साल 1962 में आबिद रहमान पाकिस्तान चला गया, जहां उनका परिवार रहता था।
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी नागरिक आबिद रहमान अस्थायी रूप से मुख्तार बाबा को जमीन बेचने के लिए भारत वापस लौटा था। जमीन खरीदने के बाद मुख्तार बाबा ने उस जगह रह रहे 18 हिंदू घरों को बेदखल कर दिया एक होटल का निर्माण किया था। जांच में पता चला कि, कानपुर नगर निगम के दस्तावेजों में अभी भी इस स्थान को मंदिर के रूप में मान्यता प्राप्त है।
पिछले साल शत्रु संपति संरक्षण संघर्ष समिति द्वारा शिकायत दर्ज किए जाने के बाद एक जांच शुरू की गई थी। उस समय जिला मजिस्ट्रेट द्वारा मामले को संयुक्त मजिस्ट्रेट के पास भेजा गया था। इसके बाद सूचना को शत्रु संपत्ति अभिरक्षक के कार्यालय में भेज दिया गया। हालांकि, इस मामले में मुख्तार बाबा के बेटे महमूद उमर ने दावा किया कि उनके पास सभी जमीन से जुड़े पुख्ता दस्तावेज मौजूद हैं और जल्द ही सवालों का जवाब देंगे।