आज कहानी कार्लोस द जैकाल की जिसे 20वीं सदी का सबसे खतरनाक आतंकी कहा जाता था। एक समय लोग उसे खौफ और मौत का दूसरा नाम कहने लगे थे। 1970 से लेकर अगले दो दशकों तक यूरोप, मिडिल ईस्ट और अफ्रीकी देशों में हुई आतंकवादी घटनाओं में कार्लोस की भूमिका रही थी। वह म्यूनिख हमले के मुख्य संदिग्धों में भी एक था, जिसे वादी हद्दाद ने ट्रेनिंग दी थी।
कार्लोस द जैकाल का असली नाम इलिच रामिरेज सान्चेज है। इलिच रामिरेज का जन्म 12 अक्टूबर, 1949, को काराकस, वेनेजुएला में हुआ था। इलिच खुद को क्रांतिकारी मानता था। शुरुआत में स्कूल गया लेकिन पढ़ाई में अच्छा न होने के चलते 1970 के दौरान उसे विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया। रामिरेज इसके बाद पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन (पीएफएलपी) में शामिल हुआ, जहां उसे “कार्लोस” नाम दिया गया था।
जॉर्डन में हथियारों की ट्रेनिंग के बाद कार्लोस को एक मिशन पर फ़्रांस भेजा गया। उसे 30 दिसंबर, 1973 को मार्क्स एंड स्पेंसर के चेयरमैन जोजेफ एडवर्ड का कत्ल करना था। कार्लोस ने घर में घुसकर गोली तो चलाई लेकिन जोजेफ बच गए। वह अपने पहले मिशन पर ही फेल हो गया। हालांकि, 70 के दशक में म्यूनिख ओलंपिक गांव में इजरायली खिलाड़ियों की हत्या में उसकी मुख्य भूमिका रही थी।
1974 में फ्रांस के एक शॉपिंग सेंटर पर कार्लोस ने ग्रेनेड हमला किया। जहां दो लोगों की मौत हुई और 34 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। अब वह फ़्रांस पुलिस व एजेंसी की राडार पर था, लेकिन उसने 21 दिसंबर, 1975 वियना में तेल का उत्पादन करने वाले देशों के मंत्रियों का अपहरण कर लिया। फिर उन्हें बंधक बनाकर हवाई जहाज से अल्जीरिया ले गया। उसका निशाना सऊदी अरब और ईरान के मंत्री थे।
इस किडनैपिंग में उसे फिलिस्तीनी संघर्ष के लीडर वादी हद्दाद ने सऊदी अरब और ईरान के मंत्रियों को मारने का हुक्म दिया था, लेकिन उसने 5 करोड़ डॉलर लेकर उन्हें छोड़ दिया था। फिर वादी हद्दाद ने उसे 1976 में पीएफएलपी से बाहर कर दिया। इसके बाद उसने 1982 और 83 में पेरिस और मार्से में चार बम धमाके किए, जिसके लिए उसे 2011 और 2013 में दो बार उम्र कैद हुई। फिर कार्लोस को 2017 में तीसरी बार उम्रकैद हुई।