आज बात ऑपरेशन रोशन की जिसे भारत के कुछ जांबाज अधिकारियों ने अंजाम दिया था। दरअसल, सन् 2002 में सीबीआई देश और अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन और आतंकवादी आफताब अंसारी को दुबई से डिपोर्ट कर दिल्ली लाई थी। इसी क्रम में, दुबई पुलिस ने भारत से एक रिटर्न गिफ्ट मांगा था, जिसका नाम रोशन अंसारी था। वह मुंबई की मूल निवासी थी और दुबई के एक शेख के साथ निकाह के बाद दूसरी बेगम बनकर भारत से दुबई चली गई थी।
दरअसल, दुबई पुलिस रोशन अंसारी को इसलिए वापस दुबई लाना चाहती थी क्योंकि उस पर अपनी सौतेली बेटी के कत्ल का इल्जाम था। जिसे उसने पांच लोगों के साथ मिलकर अंजाम दिया था और फिर 1 अप्रैल 2002 में भारत भाग आई थी। दुबई से लौटी रोशन अंसारी के साथ उसकी सगी बेटी भी भारत आई थी। रोशन ने अपने देह व्यापार के धंधे में अड़ंगा बन रही सौतेली बेटी का पहले कत्ल किया फिर उसकी लाश घर में ही कब्र खोदकर दफना कर भाग आई थी।
इसी लिहाज से वह दुबई पुलिस के लिए एक वांछित अपराधी थी। जब ऐसी बात दुबई से सामने आई तो अधिकारियों ने सोचा यह आफताब अंसारी को वापस लाने का रिटर्न गिफ्ट है। उस वक्त आईपीएस अफसर नीरज कुमार को सूचित करते हुए दुबई की तरफ से बताया गया था कि हत्या में शामिल पांच लोगों को उन्होंने गिरफ्तार कर लिया है और मुख्य साजिशकर्ता रोशन अंसारी है जो कि इस वक्त भारत में है।
दुबई पुलिस के चीफ ने नीरज कुमार को फोन इसलिए किया था क्योंकि उन्होंने ही सीबीआई में रहते हुए दुबई जाकर आफताब अंसारी को पकड़ा था और भारत वापस लाए थे। लेकिन मामले में समस्या थी नीरज कुमार उस वक्त सीबीआई से वापस दिल्ली पुलिस में आ गए थे। ऐसे में दुबई पुलिस की मदद करना एक जिम्मेदारी तो थी लेकिन गले की फांस भी थी।
इस मामले में नीरज कुमार ने तत्कालीन सीबीआई निदेशक से मदद मांगी तो उन्होंने देश निकाला (डिपोर्ट) संबंधी कानूनी दस्तावेज देते हुए हरी झंडी दे दी। इसी क्रम में नीरज कुमार ने गुपचुप तरीके से मुंबई सीबीआई यूनिट के तत्कालीन डीआईजी रहे वीरेंद्र सिंह से बात की। यहां से नीरज कुमार को मदद का आश्वासन दिया और फिर मुख्य साजिशकर्ता रोशन की तलाश शुरू हुई। कई दिनों तक तलाशी के बाद अधिकारियों ने 4 मई को रोशन अंसारी को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया।
इस गिरफ्तारी में मुंबई की तेज तर्रार महिला अफसर ज्योत्सना रासम ने तेजी दिखाई। लेकिन इस सबके बीच हड़बड़ी यह हो गई कि अधिकारियों को रोशन और उसकी बेटी का पासपोर्ट ही नहीं मिला। एक तरफ पुलिस के सामने समस्या थी कि सुबह 5 बजे दुबई के लिए जाने वाला विमान हवाई अड्डे पर खड़ा था, लेकिन जिसे दुबई प्रत्यर्पित करना था उसका पासपोर्ट ही गायब था। इसके अलावा खबर फैलने पर रोशन अंसारी के वकील भी डिपोर्ट पर अड़ंगा लगा सकते थे।
भारी आपाधापी के बीच मुंबई के डिप्टी एसपी डी.एस. शुक्ला ने रोशन अंसारी के मामा के घाटकोपर वाले घर से दोनों पासपोर्ट को जब्त कर लिया। इसके बाद महिला अफसर ज्योत्सना रासम अगले दिन 5 मई को दुबई की मोस्ट वॉन्टेड अपराधी रोशन अंसारी के साथ दुबई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर खड़ी हुई थी। इसके बाद 2003 में कत्ल के मामले में रोशन अंसारी को 20 साल और अन्य पांचो आरोपियों को भी सजा सुनाई गई।