जुनून जब जिद्द बन जाता है तो कोई भी मंजिल कठिन नहीं होती। सारी मुसीबतों के बादल धीरे-धीरे छटते जाते हैं और मुकाम का रास्ता निकलते जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है मेरठ की संजू रानी (PCS Sanju Rani) की, जिन्होंने एक लक्ष्य तय किया और उसके पीछे सबकुछ छोड़ दिया।

यूपी के मेरठ में एक साधारण परिवार में पैदा हुईं मंजू रानी वर्मा के लिए यूपीएससी (UPSC) करना ही सपना और जिद्द दोनों था, लेकिन रास्ते इतने कठिन थे कि इसके लिए उन्हें घरबार छोड़ना पड़ा। ट्यूशन पढ़ाना पड़ा तब जाकर यूपीपीएससी (UPPSC) में सफलता मिली, लेकिन संजू को तो यूपीएससी ही जुनून रहा है, इसलिए वो आज भी इसकी तैयारी में लगी हैं।

संजू जिस परिवार से आती हैं, वहां पढ़ाई को लेकर उतना महत्व नहीं था। लड़कियों को उतना ही पढ़ने दिया जाता था, जितने में शादी हो जाए। इसके बाद की पढ़ाई के लिए संजू को उनकी मां ने सपोर्ट किया। पति से विरोध कर मां ने संजू को ग्रेजुएशन में दाखिला करा दिया। ग्रेजुएशन के बाद संजू दिल्ली पढ़ाई के लिए आ गईं, लेकिन भाग्य संजू के साथ नहीं था।

पहले बड़ी बहन के पति चल बसे और फिर संजू का सबसे बड़ा सहारा मां भी चल बसी। संजू को दिल्ली से मेरठ बुला लिया गया। आईएएस (IAS) बनने का सपना देख रही संजू के लिए ये बहुत बड़ा झटका था। पढ़ाई के विरोध में शुरू से ही रहने वाले पिता ने संजू की शादी करने का फैसला कर लिया।

संजू शादी से इनकार करती रहीं। विरोध और दवाब दोनों बढ़ते गए। घर में रोज-रोज के झगड़ों से तंग आ चुकी संजू ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया। ये फैसला इतना आसान नहीं था। घर छोड़कर संजू दिल्ली पहुंच गईं। खर्चे के लिए पढ़ाना शुरू कर दिया। साथ ही तैयारी चलती रही।

स्कूल में पढ़ाने के दौरान संजू को अपनी मंजिल से भटकने का अहसास हुआ। अबतक उनके पास सेविंग भी हो गई थी। संजू इस दौरान अपनी बहनों का ख्याल भी रख रही थी। एक बहन विधवा तो दूसरी मानसिक रूप से बीमार थी।

संजू स्कूल छोड़ यूपीएससी (UPSC) की तैयारी में जुट गई। एक समय ऐसा भी आया जब वो 22-22 घंटे की पढ़ाई करने लगीं, लेकिन यहां भी किस्मत साथ नहीं दे रहा था। एक साथी की सलाह पर संजू ने यूपीपीएससी (UPPSC) का फॉर्म भर दिया। जहां उन्हें सफलता मिल गई। आज संजू यूपी में कॉमर्शिल टैक्स ऑफिसर के रूप में काम कर रही हैं। हालांकि संजू का सपना अभी भी आईएएस (IAS) का ही है, जिसके लिए वो तैयारी भी कर रही हैं।