राजनीति और शासन-प्रशासन का चोली दामन का साथ रहता है। सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस की आवश्यकता होती है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में पुलिस अधिकारियों का राजनीति की ओर रुझान बढ़ा है। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह हो या फिर नमोनारायण मीणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे हों या फिर यूएन बिस्वास, यह सभी नाम उन नेताओं के हैं, जो राजनीति में आने से पहले पुलिस की नौकरी करते थे। यानी ऐसी हस्तियों की कमी नहीं है जिन्होंने खाकी के बाद खादी पहन ली है।

IPS अमिताभ ठाकुर- आजकल रिटायर किए गए आईपीएस अमिताभ ठाकुर (IPS Amitabh Thakur) का नाम यूपी की राजनीति में लगातार चर्चा में बना हुआ है। अपनी बेबाकी के लिए जाने, जाने वाले ठाकुर को समय से पहले ही सरकार ने कंपलसरी रिटायरमेंट दे दिया था।

अमिताभ ठाकुर 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। अमिताभ ठाकुर ने कहा कि अपने समर्थकों और शुभचिंतकों से विचार-विमर्श करने के बाद उन्होंने एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया है। ठाकुर ने कहा कि पार्टी बनाने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी और उनके नए संगठन का प्रस्तावित नाम ‘अधिकार सेना’ होगा। ठाकुर अभी एक मामले में जेल में बंद है और कानूनी प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं।

IPS के अन्नामलाई- तमिलनाडु के करूर से संबध रखने वाले 2011 बैच के आईपीएस के.अन्नामलाई (IPS k annamalai) अब तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। अन्नामलाई बीजेपी में शामिल होने से पहले कर्नाटक में 9 साल तक पुलिस विभाग में कई वरिष्ठ पोस्ट पर रहे। इन्हें कर्नाटक के सिंघम के नाम से जाना जाता था। बाद में समाजसेवा की बात कह कर अन्नामलाई से पुलिस विभाग से 2019 में इस्तीफा दे दिया।

तमिलनाडु लौटने के बाद 2020 में वो बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी की ओर से हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में अन्नामलाई को उनके गृह जिले की अरावक्कुरिची विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन उन्हें यहां हार का सामना करना पड़ा। मोदी सरकार में जब कैबिनेट फेर बदल हुआ और तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष एल मुरुगन को केंद्र में मंत्री बना दिया, तब अन्नामलाई को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान दे दी गई।

IPS गुप्तेश्वर पांडे- 1987 बैच के चर्चित आईपीएस अधिकारी राजनीति के लिए दो-दो बार वीआरएस ले चुके हैं। बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे (IPS Gupteshwar Pandey) जिन्होंने सितंबर 2020 में राजनीति में शामिल होने के लिए अपनी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले थी वो अब कथावाच रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हुए पांडे को चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया गया था।

पांडे बिहार में अलग-अलग पदों पर 26 जिलों में काम कर चुके हैं। 2009 में भी उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी से चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस लिया था, लेकिन तब भी उन्हें टिकट नहीं मिली थी। जिसके बाद वे सेवा में वापस आ गए थे।

IPS प्रवीण कुमार- प्रवीण कुमार, जो 1995 के आईपीएस बैच से हैं। इन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन में मास्टर्स डिग्री ली है। प्रवीण कुमार (IPS Praveen Kumar) ने अपनी आधिकारिक सेवानिवृत्ति की तारीख से साढ़े छह साल पहले 20 जुलाई, 2021 को भारतीय पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया था। जिसके बाद वो तेलंगाना की राजनीति में सक्रिय हो गए। 8 अगस्त को तेलंगाना के नलगोंडा जिले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने एक बड़ी रैली की थी, इसी दौरान प्रवीण कुमार बीएसपी में शामिल हो गए।

प्रवीण कुमार इस साल की शुरुआत में तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्हें एक वीडियो के बाद हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा निशाना बनाया गया था। वीडियो में प्रवीण को एक प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर में हिंदू देवताओं की पूजा और हिंदू अनुष्ठानों में भाग लेने के खिलाफ शपथ लेते हुए दिखाया गया था। उनके आईपीएस छोड़ने के तीन दिन बाद, पुलिस ने उनके खिलाफ हिंदू देवताओं को अपमानित करने के लिए एक मामला दर्ज किया, जिसे उन्होंने तेलंगाना सरकार के उनके खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध का संकेत बताया है।

IPS भारती घोष- कभी ममता बनर्जी की करीबी रही भारती घोष (IPS Bharati ghosh) पश्चिम बंगाल कैडर की आईपीएस अधिकारी रह चुकी हैं। साल 2017 में उन्होंने पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव से पहले वो बीजेपी में शामिल हो गईं। बीजेपी ने उन्हें घोटल से उम्मीदवार भी बनाया लेकिन वो चुनाव हार गईं।

प्रशासनिक सेवा और राजनीति के अलावा भारती घोष अन्य वजहों से भी सुर्खियों में रही हैं। घोष पर जबरन वसूली और आपराधिक साजिश रचने के भी आरोप लगे हैं। भारती घोष ने सफलतापूर्वक नक्सलियों पर लगाम लगाने में बड़ी भूमिका अदा की थी। कुख्यात माओवादी नेता कोटेश्वर राव के एनकाउंटर का श्रेय भी भारती घोष को ही दिया जाता है।