उत्तर प्रदेश पुलिस एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) के नोएडा रीजनल साइबर क्राइम स्टेशन ने एमपी से संचालित एक ठगी गिरोह के सदस्य को अरेस्ट किया है। इस गिरोह पर करीब 500 डीमैट अकाउंट के जरिए अलग-अलग राज्य के लोगों से करंसी ट्रेडिंग के नाम पर 15 करोड़ ठगने का आरोप है। जालसाज की गिरफ्तारी लखनऊ स्थित साइबर क्राइम विंग हेडक्वार्टर के निर्देश पर की गई है।

करंसी ट्रेडिंग के नाम पर जालसाज लगाते थे चपत

जालसाज की गिरफ्तारी के बारे में अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी की पहचान शोएब मंसूरी के रूप में हुई है। 24 साल का मंसूरी मध्य प्रदेश के देवास का रहने वाला है। दरअसल, इस धोखाधड़ी के संबंध में सेक्टर-36 स्थित नोएडा साइबर क्राइम स्टेशन में शिकायत मिली थी आरोपी ने डी-मैट खातों के जरिए करंसी ट्रेडिंग के बहाने 15 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है।

500 डीमैट अकाउंट से हुआ खेल

नोएडा सेक्टर-36 स्थित साइबर क्राइम स्टेशन की प्रभारी रीता यादव के अनुसार शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपी इंदौर में एक कंपनी चलाता था, जिसमें तीन और लोग भी शामिल थे। इसी में एक कॉल सेंटर था, जिसमें वेतन पर रहे गए पुरुष-महिला कर्मचारी ग्राहकों से डीमैट अकाउंट से जुड़ी बातें करते थे। स्टेशन प्रभारी रीता यादव के मुताबिक, उन्हें करीब 500 लोगों का डेटा मिला है, जिनके इस कंपनी में डी-मैट अकाउंट बने थे।

ग्राहकों को भरोसा दिलाकर ऐंठते थे पैसा

जांच में सामने आया है कि आरोपी द्वारा की गई 15 करोड़ रुपए की ठगी के मामले में अलग-अलग प्रदेशों में संबंधित पुलिस अधिकारी भी जांच कर रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी व उनके साथियों के पास सभी डीमैट अकाउंट के यूजर-आईडी और पासवर्ड तक पहुंच थी। आरोपी अपने ग्राहकों को ठगते और उनके पैसे अलग-अलग डीमैट खातों में ट्रांसफर करते थे। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ग्राहकों को भरोसा दिलाते थे कि उनका निवेश बढ़ रहा है, जबकि असलियत कुछ और होती थी। जब कई दिनों बाद ग्राहक अपने पैसे भुनाने की मांग करते तो जालसाज उनसे तरह-तरह की दलील देकर और पैसों की मांग करते थे।

इन धाराओं में दर्ज हुआ केस

आरोपी शोएब मंसूरी के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात के लिए सजा), 419 (फर्जी पहचान के साथ धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468 (जालसाजी का उद्देश्य), 471 (फर्जी दस्तावेजों को वास्तविक बताना) और आईटी एक्ट की धारा 66 (कम्प्यूटर संबंधी अपराध) 66सी (पहचान की चोरी के लिए सजा) और 66डी (तकनीकी का उपयोग कर धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।