कानपुर के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराचीखाना शाखा के नौ लॉकरों से ढाई करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का कीमती सामान चोरी करने के मामले में एक बैंक प्रबंधक सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। पुलिस उपायुक्त (पूर्व) प्रमोद कुमार ने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों के पास से 342 ग्राम वजन के चोरी के गहने बरामद किए गए हैं।

पुलिस उपायुक्त (पूर्व) प्रमोद कुमार ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में बैंक प्रबंधक राम प्रसाद, चंद्रप्रकाश, करण राज और राकेश को शनिवार को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, पुलिस सहायक बैंक प्रबंधक शुभम मालवीय को पकड़ने में विफल रही, जो मामले में जांच शुरू होने के बाद से फरार है। डीसीपी ने कहा कि प्रसाद और मालवीय ने कथित तौर पर लॉकर तोड़कर गहने निकाले और फिर उन्हें बेच दिया।

डीसीपी (अपराध) सलमानताज जाफरताज पाटिल ने कहा कि, मानदंडों के अनुसार निष्क्रिय लॉकरों को खोलने के लिए दो बैंक प्रबंधकों, एक कानूनी सलाहकार और दो स्वतंत्र गवाहों की एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जाना होता है, लेकिन गिरफ्तार प्रबंधक ने भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों की अवहेलना की। ऐसे में जब एक एसआईटी ने अपनी जांच शुरू की तो बैंक के रजिस्टर और अन्य रिकॉर्ड में विसंगतियां पाई गईं।

फिर जांच में पता चला कि 29 निष्क्रिय लॉकर खोले गए थे। इसके बाद जब पुलिस ने लॉकर टेकनीशियन चंद्रप्रकाश से पूछताछ की तो उसने शुरू में उन्हें गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन बाद में टूट गया और अपना अपराध कबूल कर लिया। चंद्र प्रकाश ने पूछताछ करने वालों को बताया कि उसने 29 लॉकर खोल दिए थे, जिनमें करीब एक दर्जन लॉकरों में कीमती सामान था।

पुलिस ने शुक्रवार को कहा था कि बैंक शाखा के कम से कम नौ ग्राहकों ने अपने लॉकर से करोड़ों रुपये का कीमती सामान गायब पाया था। इस मामले में अब तक तीन प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं। यह घटना 14 मार्च को सामने आई, जब बैंक की एक ग्राहक मंजू भट्टाचार्य ने अपने लॉकर की जांच की और कीमती सामान गायब पाया। इसके बाद सीता गुप्ता ने भी अपने साथ ऐसा ही होने की सूचना दी थी।

पुलिस उपायुक्त (पूर्व) प्रमोद कुमार ने कहा कि जब स्थानीय समाचार पत्रों में यह खबर छपी तो अन्य ग्राहक भी बैंक पहुंचे। जिनमें से सात अन्य लोगों ने बताया है कि उनके भी लॉकर से कीमती सामान गायब हो गया है। उन्होंने कहा कि चुराए गए सामानों की कुल लागत 2.5 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। प्रत्येक ग्राहक ने कीमती सामानों में लगभग 30 लाख रुपये के नुकसान की सूचना दी है।