उत्तर प्रदेश के बलिया में बारहवीं कक्षा की अंग्रेजी परीक्षा के पेपर लीक के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए तीन पत्रकारों को जमानत दे दी गई है। पुलिस, इन पत्रकारों की पेपर लीक में कथित संलिप्तता के पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाई। इसके अलावा, पुलिस ने सबूतों के अभाव में पेपर लीक मामले में तीनों के खिलाफ धोखाधड़ी (420) की धारा भी वापस ले ली है। बता दें कि इस पेपर लीक मामले में डीआईओएस समेत 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

अंग्रेजी परीक्षा के पेपर लीक मामले में बलिया के तीन पत्रकार, अमर उजाला अखबार के अजीत ओझा और दिग्विजय सिंह और राष्ट्रीय सहारा अखबार के मनोज गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था। ज्ञात हो कि जब 31 मार्च को तीनों पत्रकारों को पेपर लीक पर दर्ज मामलों में आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया था, तभी से बलिया में पत्रकार इस गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। उन पर पेपर लीक में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।

बारहवीं कक्षा की अंग्रेजी परीक्षा के पेपर लीक मामले में कोतवाली, नगरा और सिकंदरपुर थानों में कुल तीन मामले दर्ज किए गए थे। जहां अजीत ओझा को कोतवाली में दर्ज मामले में सोमवार को जिला अदालत ने जमानत दे दी, वहीं निचली अदालत ने मनोज गुप्ता और दिग्विजय सिंह को नगरा और सिकंदरपुर थाने में दर्ज मामलों में शुक्रवार को पहले ही जमानत दे दी थी। बता दें कि, 30 मार्च को बलिया जिले में पेपर लीक के बाद 24 जिलों में उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा का बारहवीं कक्षा का अंग्रेजी का पेपर रद्द कर दिया गया था।

सोमवार को पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अखिलेंद्र कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, जिला अदालत ने अजीत ओझा को जमानत दे दी। अधिवक्ता अखिलेंद्र कुमार ने कहा, पुलिस को ओझा के खिलाफ धोखाधड़ी (420) की धारा वापस लेनी पड़ी, क्योंकि उनके पास यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था कि ओझा पेपर लीक में शामिल था। पुलिस ने पत्रकारों के खिलाफ गलत तरीके से धाराएं लगाई थी।

बलिया के पुलिस अधीक्षक राज करण नैय्यर ने सोमवार को कहा कि तीनों पत्रकारों के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा हटा दी गई है, क्योंकि पेपर लीक में कोई सबूत नहीं है। पुलिस अधीक्षक नैय्यर ने आगे कहा कि हम अन्य सभी आरोपियों के मोबाइल फोन पर फोरेंसिक डेटा का इंतजार कर रहे हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही हम जांच आगे बढ़ाएंगे। साथ ही हमने अजीत ओझा के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा को हटा दिया, क्योंकि पेपर लीक से उनके संबंध कोई सबूत नहीं मिले हैं।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जांच के शुरुआती चरण में डीआईओएस बृजेश मिश्रा ने संकेत दिया था कि जिस स्कूल में पेपर लीक हुआ, वहां ओझा एक पर्यवेक्षक और वह भी लीक में शामिल थे। लेकिन अभी तक हमें स्कूल से पेपर लीक के संबंध में कोई सबूत नहीं मिले हैं। जबकि, अन्य दो पत्रकारों दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा पहले ही वापस ले ली गई थी।