देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर कभी अंडरवर्ल्ड का खौफ हावी था, लेकिन समय के साथ सारे भ्रम सूबे की पुलिस और देश की जांच एजेंसियों ने ध्वस्त कर दिए। लेकिन मुंबई में एक डॉन ऐसा भी हुआ जिसने अंडरवर्ल्ड के सबसे बड़े डॉन और अब दुनिया के किसी कोने में छुपकर बैठे दाउद इब्राहिम को पीट दिया था। दरअसल, इस डॉन का नाम करीम लाला था। दाउद और उसके गुर्गों में करीम लाला का खौफ ऐसा था कि वे लाला के इलाके में जाने की जहमत तक नहीं उठाते थे।

रॉबिनहुड टाइप की छवि वाला डॉन: 70 के दशक तक मुंबई में माफिया व बड़े डॉन अपना साम्राज्य फैलाना शुरू कर चुके थे। ये वही समय था जब पूरे शहर में करीम लाला की हुकूमत का डंका बजता था। लेकिन करीम के अलावा हाजी मस्तान व वरदराजन नाम के डॉन भी थे, जिन्होंने अपने इलाके करीम लाला से बाँट रखे थे ताकि कभी कोई विवाद न पैदा हो। करीम लाला की छवि लोगों के बीच रॉबिनहुड टाइप की थी और वह जबान का बहुत ही पक्का था।

गंगूबाई काठियावाड़ी को मानता था बहन: डॉन करीम लाला का नाम उस वक्त भी सुर्ख़ियों में आया जब संजय लीला भंसाली ने गंगूबाई पर फिल्म बनाने का एलान किया था। दरअसल करीम लाला, गंगूबाई को अपनी बहन मानता था। एबीपी की खबर के मुताबिक, जब गंगूबाई को उसके पति ने गुजरात से लाकर मुंबई के एक कोठे पर महज 500 रूपये में बेच दिया था तो करीम लाला ही वह शख्स था जो उसकी मदद के लिए आगे आया था।

करीम लाला के फैन थे बाकी बड़े डॉन: करीम लाला पठान था और अपने वादों को लेकर इतना पक्का था कि बाकी सारे डॉन उसकी इज्जत करते थे। करीम के ही समकालीन मुंबई में एक और डॉन हाजी मस्तान था जो करीम के बारे में कहता था कि जुर्म और बादशाहत के मामले में करीम का कोई भी शानी नहीं है। असल मायनों में देखा जाए तो करीम लाला ही पूरे शहर का अकेला असली डॉन है।

दाउद को तब तक पीटा जब तक वह अधमरा नहीं हो गया: एक बार करीम लाला को पता चला कि दाउद और उसके गुर्गे शहर के किसी क्लब में हंगामा कर रहे हैं। इसके बाद करीम ने उस क्लब में पहुंचकर दाउद को इतना मारा कि वह अधमरा सा हो गया। इस पिटाई में दाउद को कई सारी गंभीर चोटे आईं। कई दिनों बाद इस मसले को लेकर करीम लाला और दाउद में भीषण खूनी गैंगवार हुई और इसके बाद तो जैसे मुंबई में गैंगवार का सिलसिला चल पड़ा। लोग उन दिनों करीम को ‘किंग’ नाम से जानते थे।

वैसे तो करीम लाला अफगानितान के कुनार का रहने वाला था लेकिन जब 21 साल का था तो वह मुंबई आ गया। शहर में नया था इसलिए जल्दी से सफलता पाने की धुन ने उसे गैरकानूनी धंधों के रास्ते में उतार दिया। इसके बाद तो सारा देश ही करीम लाला के कामों को गवाह बन गया।