सुप्रीम कोर्ट ने चार साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद एक युवक पर महिला द्वारा लगाए गए रेप के आरोपों में फैसला देते हुए बड़ी टिप्पणी की है। युवक पर महिला ने बलात्कार के आरोप लगाए थे और वह चार साल उसके साथ स्वेच्छा से संबंध में रही थी। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने युवक को अग्रिम जमानत दे दी है।

इस मामले में विक्रम नाथ और हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला का मामला यह था कि वह चार साल से पुरुष के साथ रिश्ते में थी और उसके वकील ने स्वीकार किया था कि जब रिश्ता शुरू हुआ तब वह 21 साल की थी। मामले में तथ्यों के मद्देनजर, शिकायतकर्ता स्वेच्छा से अपीलकर्ता के साथ रह रहा है और उसके संबंध थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब यदि संबंध नहीं चल रहा है तो ऐसे में धारा 376 (2) (N) आईपीसी के तहत अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का आधार नहीं हो सकता है। युवक पर बलात्कार के अलावा, अप्राकृतिक अपराध (धारा 377) और आपराधिक धमकी (धारा 506) करने का भी आरोप लगाया गया है।

इस संबंध में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा आरोपी युवक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद आरोपी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। फिर उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “वर्तमान आदेश में टिप्पणियां केवल पूर्व-गिरफ्तारी जमानत आवेदन पर निर्णय लेने के उद्देश्यों के लिए हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान आदेश में की गई टिप्पणियों से जांच प्रभावित नहीं होगी। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला द्वारा बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि दोनों के बीच चार साल तक संबंध रहा है।

इस दौरान, महिला उसके साथ स्वेच्छा से रह रही थी। ऐसे में अगर अब संबंध नहीं है तो वह बलात्कार का आरोप नहीं लगा सकती है। ऐसे मामलों में देश के उच्चतम न्यायालय की यह टिप्पणी अहम मानी जा रही है।