बिहार के पूर्णिया से भाजपा के विधायक राजकिशोर केसरी के कत्ल के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रही रूपम पाठक को सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिन की परोल पर रिहा किया है। सजायाफ्ता मुजरिम रूपम पाठक ने अपने वकील की मदद से अदालत में अर्जी दाखिल की थी।

बीजेपी विधायक की हत्या के मामले में सजा काट रही रूपम पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अर्जी में कहा था कि उन्हें बेटी की शादी में शामिल होने के लिए परोल पर रिहा किया जाए। रूपम पाठक की ओर से वरिष्ठ वकील राजेश खन्ना ने अदालत में कहा उन्होंने रूपम पाठक की तरफ दाखिल अर्जी की एक कॉपी सीबीआई के वकील को भी सौंप दी है।

कोर्ट में अर्जी दाखिल के मामले में सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से ASG राजू ने कहा कि उन्हें रूपम पाठक की अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं है। याचिकाकर्ता को अपनी बेटी की शादी यानी कन्यादान की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए आदेश दिया जा सकता है।

ASG राजू की इस टिप्पणी पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा- “ओह! मिस्टर राजू, आपने पहली बार ऐसे मामलों में हामी भरी है।” ऐसे में मुस्कुराते हुए एएसजी राजू ने कहा कि, “सर हमने सत्यापित किया है कि कैदी की बेटी की शादी की सूचना सही है और मुझे इस मामले में कोई आपत्ति नहीं है। सीबीआई की ओर से ASG राजू की सहमति के बाद सुप्रीमकोर्ट ने परोल पर रिहाई का आदेश जारी कर दिया।

बता दें कि, 4 नवंबर 2011 को भाजपा विधायक की हत्या मामले में सजा भुगत रही रूपम पाठक नाम की महिला विधायक से मुलाकात करने पहुंची थी। थोड़ी देर बात करने के बाद रूपम पाठक ने कपड़ों में छुपाकर ले गए चाकू को विधायक राजकिशोर के पेट में घोंप दिया था। इसके बाद, विधायक के समर्थकों ने महिला की पिटाई करने के बाद पुलिस को सौंप दिया था। वहीं अस्पताल में इलाज के दौरान भाजपा विधायक की मौत हो गई थी।

दरअसल, दिवंगत विधायक राजकिशोर किशोर व उनके सहायक पर एक लड़की का यौन शोषण करने के गंभीर आरोप थे और यह लड़की रूपम पाठक की बेटी थी। घटना के बाद रूपम पाठक को गिरफ्तार कर अदालत के सामने पेश किया गया था और कई महीनों की सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने रूपम पाठक को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।