पिछले साल आई वेब सीरीज स्कैम 1992- द हर्षद मेहता काफी हिट रही। इस वेबसीरिज के हिट होने के बाद निर्देशक हंसल मेहता ने अब्दुल करीम तेलगी नाम के उस शख्स के ऊपर वेबसीरीज बनाने का फैसला किया जो कभी दाने दाने का मोहताज रहा लेकिन माफिया बनने के बाद उसने 20 हजार करोड़ का घोटाला किया। जिसे आजाद भारत का सबसे पहला बड़ा घोटाला कहा गया और फर्जी स्टैंप घोटाला के नाम से जाना गया। आइये जानते हैं अब्दुल करीम तेलगी की पूरी कहानी कि आखिर उसने कैसे इस धंधे को शुरू किया और अकूत संपत्ति जमा की।

अब्दुल करीम तेलगी का जन्म कर्नाटक के खानपुर हुआ था। उसके पिता भारतीय रेलवे में काम करते थे। तेलगी जब छोटा था तो उसके पिता की मौत हो गई। पिता की मौत होने के बाद तेलगी को दाने दाने के लिए मोहताज रहना पड़ता था। पेट भरने के लिए तेलगी को अपने परिवार के लोगों के साथ मिलकर स्टेशन पर मूंगफली तक बेचना पड़ा। बाद में उसने कर्नाटक के ही बेलगावी से बीकॉम की डिग्री हासिल की और वह मुंबई चला गया। मुंबई में कुछ ही दिनों तक रहने के बाद वह कमाई के लिए सऊदी अरब चला गया। 

बाद में सऊदी अरब से दोबारा मुंबई लौटने पर उसने नकली सर्टिफिकेट बेचने का धंधा शुरू किया.  साथ ही वह फर्जी पासपोर्ट भी बनाने लगा और इसके जरिए वह लोगों को सऊदी अरब और दूसरे खाड़ी देशों में भेजने लगा। इसी दौरान इमीग्रेशन डिपार्टमेंट की नजर उसपर पड़ी. बाद में फर्जी पासपोर्ट बनाने के चलते उसे मुंबई की एक जेल में डाल दिया गया। जेल में ही तेलगी की मुलाकात कोलकाता में स्टाम्प का व्यवसाय करने वाले राम रतन सोनी से हुई। 

सोनी ने ही उसको बड़े पैमाने पर स्टाम्प बेचने का आइडिया दिया। इसके बाद साल 1994 में तेलगी ने सोनी के साथ काम करते हुए क़ानूनी स्टाम्प विक्रेता बनने का लाइसेंस हासिल किया। इसी लाइसेंस के सहारे दोनों ने मिलकर कई नकली स्टाम्प पेपर को असली स्टाम्प पेपर के साथ बेचकर लाखों कमाए। इसी पैसे से तेलगी ने कई दूसरे व्यवसाय भी शुरू किए। बाद में तेलगी और सोनी के बीच अनबन हो गया और दोनों की राहें जुदा हो गई। उसी दौरान पुलिस ने उसके स्टाम्प बेचने के लाइसेंस को रद्द भी कर दिया।

लाइसेंस रद्द होने के बाद तेलगी ने अपना प्रेस खोलने का मन बनाया। हालांकि उसका मकसद अभी भी नकली स्टाम्प बेचना ही था। इसके लिए तेलगी ने अपने संपर्कों का इस्तेमाल करते हुए स्टाम्प बनाने वाली सरकारी मशीन को ही बेकार घोषित करा दिया और उसे खरीद लिया। उसी मशीन के सहारे ही वह नकली स्टाम्प छाप छाप कर कई शहरों में बेचने लगा। इस दौरान तेलगी ने कई बड़े बड़े डिग्री धारक विद्यार्थियों को भी अपने यहां नौकरी पर भी रखा। जो तेलगी के नकली स्टाम्प के धंधे में उसकी मदद किया करते थे। 

1992 से लेकर 2002 के बीच तेलगी पर 25 से ज्यादा मामले दर्ज हुए। लेकिन बड़े बड़े अधिकारियों की मदद से वह 2001 तक बचता रहा। आख़िरकार नवम्बर 2000 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी गिरफ्तारी तब हुई जब 2000 में फर्जी स्टांप पेपर बेचने वाले दो लोगों को बेंगलुरु में पकड़ा गया था। उन दोनों की गिरफ्तारी से घोटाले का खुलासा हुआ था। गिरफ्तार होने के बाद जब पुलिस ने तेलगी से पूछताछ की तो कई बड़े नेताओं और पुलिस अधिकारियों के नाम सामने आए। आख़िरकार सीबीआई ने इस मामले की जांच खुद शुरू की। जांच में तेलगी की 36 प्रॉपर्टीज का पता लगा था और 18 शहरों में 100 से ज्यादा बैंक खाते मिले। इस घोटाले की कीमत करीब 20,000 करोड़ हजार आंकी गई थी।

बाद में अदालत ने तेलगी और उसके सहयोगियों को 2006 में 30 साल की कैद और 202 करोड़ रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। इस दौरान उसे बेंगलुरु जेल में रखा गया था। जेल में भी वह काफी आलीशान जिंदगी जीता था। जुलाई 2017 में बेंगलुरु की डीआईजी (जेल) डी. रूपा ने जब इस बात का खुलासा किया था कि जेल में तेलगी को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाता है और मसाज के लिए तीन या चार लोग दिए जाते हैं तो काफी सनसनी मच गई थी। बाद में 26 अक्टूबर 2017 को उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों के अनुसार तेलगी को डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी। इन्हीं बीमारियों की वजह से उसके कई अंग ने काम करना बंद कर दिया था  और उसकी मौत हो गई।