गुजरात के सूरत की एक अदालत ने दुष्कर्म और हत्या के दोषी को बुधवार को मौत की सजा सुनाई। 23 साल के शख्स ने 27 फरवरी को एक साल 9 महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी थी। हत्या करने के लिए उसने मोबाइल पर यह सर्च किया था कि किसी नाबालिग को कैसे मारते हैं। इससे संबंधित वीडियो उसके मोबाइल में मिला था। आरोपी सचिन क्षेत्र का रहने वाला है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विशेष POCSO अदालत की जज शकुंतलाबेन सोलंकी ने पहली बार किसी को मौत की सजा सुनाई है। वहीं 2019 के बाद से नाबालिग लड़की से बलात्कार और हत्या के मामले में सूरत अदालत में यह नौवीं सजा है। इसके साथ ही जज ने दोषी यूसुफ हाजत को बच्ची के माता-पिता को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।

अदालत ने 31 जुलाई को आरोपी हाजत को माना दोषी

वकील नयन सुखड़वाला ने 31 जुलाई को जज से मामले को दुर्लभतम से दुर्लभतम (Rarest of rare case) मानते हुए दोषी को मौत की सजा देने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि फांसी की सजा देने का कारण यह है कि पीड़िता एक साल 9 महीने की थी और वह लाचार थी। वह 23 साल के आरोपी से अपना बचाव नहीं कर सकती थी।

सुखाड़वाला ने न्यायाधीश से आईपीसी अधिनियम की धारा 73 के तहत एकांत कारावास का भी अनुरोध किया था। जिसमें दोषी को फांसी देने से पहले निश्चित अवधि के लिए किसी अन्य कैदी के बिना एक कमरे में रखा जाना चाहिए ताकि वह अपने द्वारा किए गए अपराध पर पश्चाताप कर सके। आरोपी हाजत को बुधवार को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच अदालत में लाया गया। कोर्ट ने जब सजा सुनाई तो उस वक्त आरोपी की छोटी बहन, मां सहित परिवार के बाकी सदस्य मौजूद थे। कोर्ट में बच्ची के माता-पिता भी मौजूद थे।

सरकारी वकील सुखड़वाला ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताया। उन्होंने कहा “यह आदेश समाज में एक उदाहरण स्थापित करेगा। जिससे लोग ऐसा अपराध करने से पहले दो बार सोचेंगे। पुलिस ने जब उसका फोन बरामद किया था तो आरोपी के फोन में कई अश्लील सामग्रियां थीं। उसने नाबालिग को मारने का एक वीडियो भी डाउनलोड किया था।” जज ने आदेश सुनाते हुए कहा कि गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर हाजत को दोषी ठहराया जाता है और आईपीसी अधिनियम की धारा 376 (ए, बी) के तहत मृत्यु तक फांसी की सजा दी जाती है।

माता-पिता से कहा था- चिप्स दिलाने ले जा रहा हूं

पुलिस के अनुसार, 27 फरवरी की शाम यूसुफ हाजत उर्फ ​​इस्माइल बच्ची के माता-पिता से यह कहकर उसे अपने साथ ले गया कि वह उसके लिए चिप्स के पैकेट खरीदेगा फिर घर पहंचा देगा। इसके बाद हाजत उसे गांव के बाहरी इलाके में एक सुनसान जगह पर ले गया जहां उसने उसके साथ बलात्कार किया और बाद में गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। जब बच्ची रात तक वापस नहीं लौटी तो उसके माता-पिता को पता चला कि हाजत भी गायब है।

परिवार के सदस्यों ने गांव के लोगों के साथ मिलकर बच्ची को खोजना शुरू किया मगर वह कहीं नहीं मिला। माता-पिता की शिकायत के आधार पर हाजत को अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी 3 मार्च तक पुलिस रिमांड पर था और बाद में उसे न्यायिक हिरासत में सूरत सेंट्रल जेल भेज दिया गया।

आदेश में कहा गया है, “कम करने वाली और गंभीर परिस्थितियों में इस मामले को Rarest of rare case करार दिया गया है। इसके लिए आजीवन कारावास की सजा पर्याप्त नहीं है।” पुलिस ने 78 गवाह और 16 से अधिक दस्तावेजी सबूत पेश किए थे और मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था।