राजस्थान से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। साल 2018 में झालावाड़ इलाके में एक बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में पुलिस ने सबूत बदलकर चश्मदीद को ही आरोपी में तब्दील कर दिया। जबकि उसी चश्मदीद ने घटना के बाद हिरासत में लिए जाने के बाद आरोपियों के नाम बताए थे।
बात यहीं नहीं रुकी बल्कि जुटाए गए सबूतों के चलते चश्मदीद को 2019 में पॉक्सो कोर्ट ने फांसी की सजा भी सुना दी। हालांकि, हाईकोर्ट ने युवक को निर्दोष बताते हुए कहा कि उन्हें बड़े भारी मन से तकनीकी आधार पर उसे उम्रकैद की सजा सुनानी पड़ रही है। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि केस को फिर से खोलकर जांच में शामिल सभी लोगों पर कार्रवाई की जाए। अब आरोपी की रिहाई की उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से है।
DNA रिपोर्ट से पकड़ा गया झूठ: पूरा मामला साल 2018 में झालावाड़ जिले में 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म व हत्या से जुड़ा है। जिसमें पुलिस ने रस्सी को सांप बना कोमल लोधा नाम के चश्मदीद को फांसी की सजा तक पहुंचा दिया। कोमल को पुलिस ने घटना के तुरंत बाद पकड़ा था, दबाव की कार्रवाई के चलते पुलिस ने सबूत बदले और फिर उसे ही आरोपी बना दिया। हालांकि, जब मामला हाई कोर्ट गया तो वह डीएनए रिपोर्ट से झूठ पकड़ गया।
सबूत बदले, दबाव में लिया एक्शन: हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कहा गया कि पुलिस ने ऐसी कार्रवाई की जिसमें निर्दोष फंस गया और दोषियों को बचाया गया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट, अरेस्ट मीमो और रिकवरी मीमो से इस बात की पुष्टि होती है कि सबूत बदले गए। साथ ही मुख्य आरोपी की अंडरवियर को कोमल के पास बरामद दिखाकर उसने चश्मदीद का सीमन प्लांट किया गया।
सैंपल ही नहीं हुआ मैच: हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस पंकज भंडारी व अनूप कुमार ढंढ की बेंच ने डीएनए रिपोर्ट देखी तो उन्हें इसमें कुछ विसंगतियां दिखी। फिर जब सवाल-जवाब हुए तो गलतियों की पूरी कड़ी बन गई। डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक, घटना के बाद पुलिस ने आरोपी की अंडरवियर व बच्ची की लेगिंग, स्वाब राज्य की फॉरेंसिक लैब में भेजा था। रिपोर्ट के दौरान अंडरवियर व लेगिंग पर दो मेल डीएनए प्रोफाइल मिले पर मिले लेकिन इनमें से किसी का भी मिलान आरोपी बनाए गए कोमल लोधा के डीएनए से नहीं हुआ। इसके अलावा, एक मेल प्रोफाइल स्वाब के सैंपल में मिला लेकिन ये भी कोमल के डीएनए से मैच नहीं हुआ।
जांच में विसंगतियां: कोर्ट ने कहा कि, पुलिस अरेस्ट मीमो में बताती है कि एक सिपाही ने कोमल के प्राइवेट पार्ट पर चोट देखी पर अंडरवियर बरामद करने में उसे 7 घंटे लग गए। वहीं रिकवरी मीमो में इसके पीछे का कारण बताया गया कि आरोपी ने उन्हें अंडरवियर न उतारकर दी और न वह 7 घंटे तक सबूत बरामद करने की जहमत उठा पाए। ऐसे में कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने इन्हीं 7 घंटों में दुष्कर्मी की अंडरवियर कोमल से बरामद दिखाई।