पश्चिम बंगाल के रिशरा (हुगली जिला), शिबपुर (हावड़ा) और दलखोला (दक्षिण दिनाजपुर) समेत पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा भड़कने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने छह मामले दर्ज किए हैं। एनआईए द्वारा दर्ज की गई छह एफआईआर में से एक के अनुसार हिंसक झड़पों से पहले 30 मार्च को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रामनवमी पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा निकाले गए जुलूस में शामिल लोगों को तलवारें, लाठियां और अन्य हथियार ले जाते देखा गया था।

विहिप जुलूस के पीछे गैर सरकारी संगठन अंजनी पुत्र सेना

शिकायतकर्ता के मुताबिक एक गैर सरकारी संगठन अंजनी पुत्र सेना हर साल रामनवमी का जुलूस निकालता है। यह जुलूस हावड़ा के शिबपुर में काजीपारा मोड़ से शुरू होता है और इसमें 3,000 से 3,500 के बीच समर्थक हिस्सा लेते हैं। यह संगठन ही विहिप जुलूस के पीछे था। हुगली जिले के रिशरा, हावड़ा के शिबपुर और दक्षिण दिनाजपुर के दलखोला समेत पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी।

हाई कोर्ट के आदेश पर एजेंसी ने राज्य में मामले की जांच शुरू की

एनआईए ने रामनवमी के जुलूसों के दौरान बंगाल में हिंसा से संबंधित छह मामले दर्ज किए हैं। विधानसभा में विपक्ष के नेता भाजपा के शुभेंदु अधिकारी की अर्जी के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर एजेंसी ने राज्य में मामले की जांच शुरू कर दी है। एजेंसी ने अपनी दलील में अदालत को अवगत कराया कि उसने विस्फोटक अधिनियम के तहत दायर मामलों की जांच शुरू की है।

अंजनी पुत्र सेना के जुलूस से पत्थर फेंके जाने का जिक्र

शिबपुर मामले की प्राथमिकी शिबपुर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर अरूप कुमार रॉय द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर दर्ज की गई थी। इस प्राथमिकी में कहा गया है, “जब अंजनी पुत्र सेना का जुलूस जीटी रोड से गुजर रहा था तो आसपास की इमारतों से कथित तौर पर ईंट और पत्थर फेंकने के मुद्दे पर एक अराजक स्थिति पैदा हो गई। उसके बाद अंजनी पुत्र सेना के अनुयायियों ने पीएम बस्ती (जीटी रोड के बाहर) के लोगों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की। (वहां) तलवार, लाठी, बांस के डंडे जैसे घातक हथियार दिखाकर गुंडागर्दी की और (रैली करने वालों) महिलाओं की मर्यादा का अपमान करने के लिए अभद्र इशारे भी किए गए।”

शुक्रवार की नमाज के दौरान भी बनी अराजक स्थिति

इंस्पेक्टर रॉय की शिकायत पर दर्ज दूसरी प्राथमिकी में कहा गया है कि 31 मार्च को जीटी रोड और पीएम बस्ती इलाके में एक बड़ी पुलिस टुकड़ी तैनात की गई थी। उस दिन शुक्रवार का दिन था और पीएम बस्ती के कई लोग मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए गए थे। शिकायत में कहा गया है, “दोपहर करीब 1.15 बजे, नमाज के बाद अचानक अराजक स्थिति पैदा हो गई, दोनों समुदायों ने पास के अपार्टमेंट से पत्थर और ईंटें फेंकने का आरोप लगाया।”

घातक हथियारों को लेकर हंगामे का भी आरोप

प्राथमिकी में आगे कहा गया है, “इसके बाद पीएम बस्ती क्षेत्र के लोगों ने बर्बरता शुरू कर दी … घातक हथियारों के साथ और दूसरे समुदाय के पास के अपार्टमेंट की ओर ईंट, पत्थर, कांच की बोतलें फेंकना शुरू कर दिया और खिड़की के शीशे, एंट्री गेट और दुकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया। जवाबी कार्रवाई में आस-पास के इलाकों के कुछ लोगों ने भी दूसरे समुदाय के लोगों पर पथराव, ईंटें फेंकी … कुछ दुकानों, घरों को विस्फोटक वस्तुओं /ज्वलनशील पदार्थों का उपयोग करके आंशिक रूप से नष्ट कर दिया गया।”

एक प्राथमिकी में यात्रा में डीजे साउंड सिस्टम का भी मामला

रिशरा पुलिस स्टेशन में तैनात सब-इंस्पेक्टर पियाली बिस्वास की शिकायत पर दर्ज तीसरी प्राथमिकी में कहा गया है, “2 अप्रैल को शाम करीब 6 बजे 1,000 से 1,200 लोगों की एक रैली डीजे साउंड सिस्टम (बजाने) के साथ बारो मस्जिद रिशरा की ओर आ रही थी। बारो मस्जिद इलाके के सामने अचानक दो समुदायों के बीच तनाव हो गया और उनमें आपस में कहा-सुनी हो गई। उन्होंने लड़ना शुरू कर दिया। उनकी ओर से पत्थर और कच्चे बम फेंके गए, जिससे लोगों को गंभीर चोटें आईं।’

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डालखोला थाने में बिना अनुमति निकाली गई यात्रा

डालखोला थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर विश्वनाथ मित्रा की शिकायत पर एक और मामला दर्ज किया गया है। इसमें आरोप लगाया गया है, “30 मार्च को पुलिस को सूचना मिली कि उत्तर डालखोला क्षेत्र से रामनवमी की एक रैली बिना पूर्व अनुमति के ताजमुल चौक पर इकट्ठी हुई है। सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस मौके पर पहुंची और… उनसे उत्तर डालखोला अंडरपास होते हुए उत्तर डालखोला NH-34 मोड़ होते हुए तजामुल चौक होते हुए आगे बढ़ने का अनुरोध किया।”

एनआईए ने 3 अप्रैल की घटनाओं पर दर्ज किए मामले

“महिलाओं सहित लगभग 2,000 समर्थकों की रैली पुलिस सुरक्षा के साथ उत्तर दलखोला से तजामुल चौक तक शुरू हुई और ताजमुल चौक पर पहुंचने पर यह देखा गया कि कुछ मुस्लिम लोग मस्जिद के पास नमाज अदा करने के लिए इकट्ठे हुए थे। यह देखकर भीड़ आग बबूला हो गई और पुलिस और दूसरे समुदाय के लोगों पर पथराव करने लगी।” एनआईए ने पुलिस कर्मियों पर हमलों को लेकर दो और प्राथमिकी दर्ज की हैं। ये दोनों घटनाएं 3 अप्रैल को सेरामपुर और रिशरा पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में हुईं।