मुंबई की पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर को कोविड-19 महामारी के समय बॉडी बैग घोटाला मामले में सोमवार को दो दिनों की अस्थायी राहत मिल गई। मुंबई पुलिस ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वे किशोरी को अगले दो दिन तक गिरफ्तार नहीं करेंगे। जिसके बाद किशोरी को यह अस्थायी राहत मिली। एक निचली अदालत ने पिछले सप्ताह पेडनेकर की अग्रिम जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह एक ऐसे आर्थिक अपराध की आरोपी हैं जिससे जनता की भारी भरकम राशि संलिप्त है। याचिका खारिज होने के बाद किशोरी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
न्यायमूर्ति एन.जे. जामदार की एकल पीठ ने पेडनेकर की याचिका पर सुनवाई की। पेडनेकर के वकील राहुल अरोते ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता एक पूर्व महापौर हैं जिन्हें मामले में गिरफ्तार किया जा रहा है। पुलिस की ओर से पेश हुए अभियोजक ने समय मांगा और कहा कि मामले के जांच अधिकारी अदालत में मौजूद हैं और पुलिस बुधवार तक कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी। इसके बाद पीठ ने मामले को बुधवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
किरीट सोमैया की शिकायत बनी गले की फांस
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाख (ईओडब्लू) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता किरीट सोमैया की शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश) सहित विभिन्न धाराओं के तहत पेडनेकर और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
जानिए पूर्व मेयर पर क्या है आरोप
पूर्व मेयर पर कोरोना के समय कोविड केंद्रों पर हुए घोटाले का आरोप है। शिकायत में महामारी के दौरान बीएमसी द्वारा संक्रमण से जान गंवाने वाले मरीजों के शव के लिए बॉडी बैग, मास्क व अन्य वस्तुओं की खरीद में अनियमितता का आरोप लगाया गया है। पेडनेकर ने अग्रिम जमानत याचिका में दावा किया कि उन्हें मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और उनके खिलाफ शिकायत राजनीतिक से प्रेरित है। उन्होंने दावा किया कि शिवसेना पार्टी में टूट के बाद उनपर मामला दर्ज किया गया और उन्हें उद्धव ठाकरे गुट से ताल्लुक रखने के लिए निशाना बनाया जा रहा है।