चौंकाने वाले मामले में एक शख्स ने उसकी पत्नी के परिवार के खिलाफ कथित तौर पर बिना मांग के दहेज देने के लिए आपराधिक कार्रवाई की मांग की। मामला कोर्ट तक पहुंचा लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया। दरअसल, वो अदालत को ससुराल वालों पर लगाए गए आरोपों को सिद्ध करने में असफल रहा।

शख्स पर क्रूरता का मामला कराया था दर्ज

एडिश्नल सेशन जज नवजीत बुद्धिराजा मजिस्ट्रेट अदालत के जुलाई 2022 के आदेश के खिलाफ शख्स की रिविजन प्ली पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें दहेज देने के आरोप में उसकी पत्नी के माता-पिता और भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के उसके अनुरोध को खारिज कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान ये बात भी सामने आई कि उक्त शख्स पर पत्नी के परिजनों ने क्रूरता का मामला कराया था।

कोर्ट ने कहा, “जब तक मुकदमे के दौरान दोनों पक्षों द्वारा सबूत पेश नहीं किए जाते, तब तक दहेज की मांग की गई थी या नहीं, इस पहलू पर प्रभावी ढंग से फैसला नहीं किया जा सकता है और इस तरह, इस स्तर पर पुनरीक्षणकर्ता (कुमार) का यह कहना कि उन्होंने प्रतिवादियों से कभी दहेज की मांग नहीं की और इसके बावजूद उनके खाते में 25,000 और 46,500 रुपये की राशि ट्रांस्फर की गई, एक पक्षपाती बयान होगा।”

ससुराल वालों ने दहेज देने की बात कबूल की

5 अक्टूबर को पास हुए आदेश में जज बुद्धिराज ने कहा कि उसके ससुराल वालों ने पहले ही उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 498 ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा विवाहित महिला के साथ क्रूरता करना) के तहत एफआईआर दर्ज करा दी है।

कोर्ट ने शख्स की शिकायत के संबंध में मजिस्ट्रेट की टिप्पणी को सही ठहराया कि एफआईआर दर्ज करते समय ससुराल वालों ने स्वीकार किया था कि उन्होंने कुमार को दहेज दिया था और ऐसी स्वीकारोक्ति दहेज निषेध अधिनियम के तहत अपराध है।

कोर्ट ने मजिस्ट्रेट की इस टिप्पणी को भी दर्ज किया कि कुमार ने इस तथ्य को छिपाया था कि उसकी पत्नी और ससुराल वालों ने उसके खिलाफ एफआईआर में “लगातार दहेज की मांग के गंभीर आरोप” लगाए थे।