उत्तर प्रदेश के कानपुर में बीते दिनों भड़की हिंसा में अब पुलिस अधिकारियों का मानना है कि दंगे के पीछे की साजिश में पीएफआई का हाथ है। इसी के चलते उन सारी वजहों पर जांच जारी है। बता दें कि, भाजपा की प्रवक्ता रही नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर कथित विवादित बयान के चलते मुस्लिम संगठन ने कानपुर में बंद का ऐलान किया था।
कानपुर हिंसा में PFI कनेक्शन: कानपुर में बंद के चलते बीते शुक्रवार को जुलूस निकाला गया था। इस जुलूस के दौरान दुकानों को बंद कराने पर एक पक्ष अड़ गया था। जब कुछ दुकान मालिकों ने इस बात का विरोध किया तो दो समुदाय के लोग आपस में लड़ बैठे थे। कहासुनी और झड़प के बाद बात हिंसा तक जा पहुंची। कानपुर में इस हिंसक झड़प के बाद शांति हुई तो योगी सरकार ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी।
कानपुर हिंसा मामले में अब तक इस मामले में कुल 29 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जबकि मास्टरमाइंड कहे जा रहे जफर हयात हाशमी को पुलिस पहले पकड़ चुकी है। हालांकि, अब कानपुर हिंसा के पीछे की साजिश में पीएफआई का हाथ बताया जा रहा है। ऐसे में जानते हैं कि आखिर पीएफआई है क्या और क्यों हर बार इस संगठन को प्रतिबंधित करने की मांग उठती रही है।
क्या है पीएफआई: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की स्थापना 2007 में दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों, केरल में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु में मनिथा नीति पसाराई के विलय से हुई थी। तीनों संगठनों को एक साथ लाने का निर्णय नवंबर 2006 में केरल के कोझीकोड में एक बैठक में लिया गया था। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। पीएफआई को चरमपंथी इस्लामी संगठन माना जाता है।
विवादों से रहा पुराना नाता: पीएफआई के गठन की औपचारिक घोषणा 16 फरवरी, 2007 को एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान बेंगलुरु में एक रैली में की गई थी। स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध के बाद उभरे पीएफआई ने खुद को एक ऐसे संगठन के रूप में पेश किया है, जो बताता है कि अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिए के समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ता है। हालांकि, पीएफआई का विवादों से पुराना नाता रहा है।
लगता रहा है हिंसा फैलाने का आरोप: गृह मंत्रालय के मुताबिक, जब देश भर में सीएए और एनएसए कानूनों के खिलाफ विरोध चल रहा था तब पश्चिमी यूपी और मध्य-पूर्व यूपी के जिलों में यूपी में पीएफआई सक्रिय रहा था। कई केंद्रीय मंत्रियों समेत यूपी सरकार भी इस संगठन को बैन करने की मांग कर चुकी है। कई बार इस संगठन पर राज्यों में हिंसा फैलाने का आरोप लगता रहा है। फिलहाल माना जाता है कि इस संगठन की जड़े देश के 24 राज्यों में फैली हुई है। कई प्रदेशों में बैन हो चुके इस संगठन का नाम सीएए प्रोटेस्ट समेत दिल्ली जहांगीरपुरी हिंसा, केरल, महाराष्ट्र व यूपी की कई सांप्रदायिक हिंसाओं में सामने आ चुका है।