गुजरात के पोरबंदर की एक महिला गैंगस्टर जिसने पति की मौत के बाद अपने बच्चों को बचाने के लिए जुर्म की राह को चुन लिया। इस महिला गैंगस्टर का नाम संतोकबेन जड़ेजा था। माना जाता था कि संतोकबेन के गिरोह में 100 से ज्यादा कुख्यात अपराधी थे, जिन पर करीब 525 केस दर्ज थे। लेकिन इस महिला गैंगस्टर की कहानी उसके पति की हत्या के बाद शुरू होती है।
80 के दशक में पोरबंदर में एक महाराजा नाम की मिल थी। इसी मिल में पोरबंदर के कुतियाना गांव के सरमन मुंजा जड़ेजा मजदूरी का काम करते थे। उन दिनों मिल मालिक और मजदूरों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया और मजदूरों ने हड़ताल कर दी। ऐसे में मिल मालिकों ने मामले को निपटाने के लिए स्थानीय बदमाश देवू वाघेर की मदद ली। मिल की हड़ताल खत्म करवाने पहुंचे बदमाश देवू की हत्या कर दी गई और इस हत्या में सरमन मुंजा का नाम सामने आया।
देवू वाघेर के बाद अब सरमन मुंजा इलाके का डॉन बन बैठा। कई सालों तक धाक जमाने के बाद उसने अवैध शराब का काम शुरू किया, लेकिन साल 1986 में पोरबंदर के माफिया कालिया केशव ने सरमन मुंजा की हत्या करवा दी। साथ ही संतोकबेन को धमकी दी गई कि वह उनके बेटों को भी मार देंगे। पति की हत्या और बच्चों को जिंदा बचाने की जिद के बीच संतोकबेन जड़ेजा ने गैंग की कमान संभाली और गिरोह के आदमियों के सहारे पति की हत्या में शामिल सभी 14 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
इलाके में 14 हत्याओं के बाद संतोकबेन सबसे खूंखार महिला गैंगस्टर बन गई और लोगों ने उसे ‘गॉडमदर’ का नाम दिया। इसके बाद संतोकबेन को मसीहा मान चुके लोगों ने उसे पोरबंदर तालुके का अध्यक्ष चुन लिया। एक महिला गैंगस्टर संतोकबेन ने यह चुनाव निर्विरोध जीता था। वहीं साल 1990 में हुए विधानसभा चुनावों में जनता दल के टिकट पर 35 हजार से वोटों से चुनाव जीतकर संतोकबेन विधायक बन गई। यह वह दौर था जब इलाके में रियल स्टेट से लेकर ट्रांसपोर्ट तक के व्यवसाय में उसका सिक्का चलता था।
एक इंटरव्यू के दौरान गुजराती भाषा में बात करते हुए संतोकबेन ने कहा था कि उन्होंने न तो लोगों के बीच में जाकर भाषण दिया और न ही फोटो खिंचवाकर प्रचार किया, फिर भी वह विधायक बन गई। यह सब जनता की मेहरबानी है। साल 1995 में उसने दोबारा विधायकी का पर्चा भरा था, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में नामांकन वापस ले लिया। साल 1996 तक संतोकबेन का खौफ कायम रहा लेकिन इसी साल दर्ज हुए हत्या के मुकदमें में संतोकबेन को 16 महीने के लिए जेल भेज दिया गया।
जेल से रिहा होने के बाद वह राजकोट चली गई और 2002 में फिर से विधायकी के लिए पर्चा भरा, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में फिर से नामांकन वापस ले लिया। हालांकि, इस बार कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव हार गया। वहीं 2005 में एक बीजेपी पार्षद की हत्या के चलते संतोकबेन को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद वह 2007 और 2008 में चर्चा में तब रही, जब उनके देवर के बेटे और बहू की हत्या कर दी गई थी।
संतोक बेन जड़ेजा पर 9 मुकदमें दर्ज थे, जबकि उसके गिरोह में 100 से ज्यादा कुख्यात अपराधियों पर 525 केस दर्ज थे। इनमें हत्या, अपहरण, हत्या की साजिश, रंगदारी, लूट जैसे कई गंभीर अपराध शामिल थे। ज्यादा उम्र होने के चलते इस महिला गैंगस्टर की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे कांधल जड़ेजा ने संभाल लिया था, जो एनसीपी से विधायक भी हैं। वहीं साल 2013 में हार्ट अटैक के चलते संतोकबेन जड़ेजा की मौत हो गई।