उत्तर प्रदेश के नौतनवा से निर्दलीय विधायक अमन मणि त्रिपाठी लॉकडाउन के बीच प्रशासन और चिकित्सकों से उलझ गए। बीते रविवार (03-05-2020) को यह वाकया उस वक्त हुआ जब विधायक उत्तराखंड जा रहे थे। चमोली जिले के पास गौचर में प्रशासन ने उन्हें स्क्रीनिंग के लिए रोका था। लेकिन रास्ते में प्रशासन द्वारा रोके जाने से विधायक अमन मणि त्रिपाठी नाराज हो गए तथा स्थानीय प्रशासन और चिकित्सकों से उलझ गए।
कर्णप्रयाग के SDM ने बताया कि ‘वो उत्तर प्रदेश से आ रहे थे औऱ उनके साथ 3 गाड़ियां थीं। इन सभी को गौचर के पास लगे बैरियर के पास रोका गया। लेकिन रोकने के बावजूद वो वहां रूके नहीं और और कर्णप्रयाग पहुंच गए। यहां स्क्रीनिंग में सहयोग करने के बजाए चिकित्सकों और स्थानीय प्रशासन से बहस करने लगे। काफी मान-मनौव्वल करने के बाद वो लौटे।’
विधायक पर केस दर्ज: ‘न्यूज 18’ की रिपोर्ट के मुताबिक निर्दलीय विधायक त्रिपाठी सहित 12 लोगों को बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने के लिए पास जारी किया गया था। लेकिन इन्हें चमोली जिले के बॉर्डर से बदरीनाथ के कपाट न खुलने का हवाला देते हुए वापस लौटा दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर और पुलिस से बदसलूकी करने के मामले में विधायक सहित 12 लोगों पर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस भी दर्ज किया गया है।
कौन हैं अमन मणि त्रिपाठी? अमन मणि त्रिपाठी पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के बेटे हैं। महाराजगंज जिले के त्रिलोकपुरी के रहने वाले अमन मणि त्रिपाठी के पिता भी नौतनवा विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। साल 2017 से अमन मणि त्रिपाठी इस सीट से निर्दलीय विधायक हैं।
कभी समाजवादी पार्टी का झंडा बुलंद करने वाले अमन मणि त्रिपाठी ने साल 2017 में एसपी के उम्मीदवार कुंवर कौशल किशोर सिंह को करीब 32 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर इस सीट पर विजय हासिल की थी।
पत्नी की हत्या का लगा था आरोप: अमन मणि त्रिपाठी यूपी के सीएम के तौर पर योगी आदित्यनाथ को सपोर्ट कर के भी सुर्खियों में आए थे। साल 2016 में अमन मणि त्रिपाठी उस वक्त विवादों में आए थे जब उस साल नवंबर के महीने में उन्हें अपनी ही पत्नी की हत्या के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी थी।
बीवी की हत्या में नाम आने के बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था। पत्नी की हत्या के आरोप में जेल जाने के बाद मार्च 2017 में उन्हें जमानत मिली थी।

