आज बात एक आईएएस अफसर के मौत से जुड़ी एक ऐसी कहानी कि जिसे कई लोग आज भी अनसुलझा रहस्य मानते हैं। कर्नाटक के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की साल 2017 में मई के महीने में लखनऊ की मीराबाग मार्ग स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस से करीब 50 मीटर दूर सड़क पर संदिग्ध अवस्था में लाश मिली थी। 17 मई को उनकी लाश मिलने के बाद उस वक्त कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि उनका शव बीच सड़क औंधे मुंह पड़ा मिला था। उस वक्त उनके नाक से खून बह रहा था और ठुड्डी पर गहरी चोट लगी थी।
मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले अनुराग तिवारी की मौत 36 साल के उम्र में हुई थी। अनुराग कर्नाटक के नगवार में डायरेक्टर फूड एंड सप्लाई विभाग में तैनात थे। जिस दिन इस आईएएस अधिकारी की लाश मिली थी बताया जाता है कि उसी दिन उनका जन्मदिन भी था। उस वक्त इंस्पेक्टर हजरतगंज, आनंद शाही के कहा था कि बहराइच के कानूनगोपुरवा निवासी अनुराग तिवारी रविवार को लखनऊ आए थे और यहां वीआइपी गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 19 में ठहरे थे। कमरा एलडीए वीसी प्रभु नारायण सिंह के नाम बुक था। मंगलवार रात दोनों अधिकारी कमरा नंबर 19 में ही ठहरे थे।
इंस्पेक्टर हजरतगंज आनंद शाही के मुताबिक, एलडी वीसी ने सुबह 6:30 बजे का अलार्म लगाया था। वह बुधवार सुबह जब जागे, तब अनुराग कमरे में नहीं थे। एलडीए वीसी ने पुलिस को बताया था कि उन्हें लगा कि अनुराग टहलने गए हैं। वह सुबह करीब 6:45 बजे बैडमिंटन खेलने चले गए थे और कमरे की चाबी रिसेप्शन पर दे दी थी, ताकि अनुराग के वापस आने पर उन्हें मिल जाए।
अनुराग का मोबाइल कमरे में ही चार्जर पर लगा था, जबकि वह लोअर-शर्ट व चप्पल पहनकर कमरे से निकले थे। अनुराग की जेब में उनका पर्स था। पुलिस को सुबह करीब छह बजे किसी ने 100 नंबर पर वीआइपी गेस्ट हाउस के पास एक व्यक्ति के बीच सड़क पर पड़े होने की सूचना मिली। तब मौके पर पहुंची पुलिस अनुराग को उठाकर सिविल अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। करीब 20 महीने तक जांच के बाद सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट फाइल की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि अनुराग तिवारी एक हादसे में गिरे गए थे और Asphyxia (Suffocation) से उनकी मौत हुई थी।
हालांकि अनुराग के बड़े भाई मयंक तिवारी ने साल 2007 बैच के इस आईएएस अफसर की मौत को लेकर आशंका भी जताई थी। मयंक और परिवार के अन्य सदस्यों ने इस मामले को संदिग्ध बताया था। परिजनों ने सीबीआई रिपोर्ट का भी विरोध किया था। मयंक तिवारी ने आरोप लगाया था कि उनके भाई की हत्या की गई है। वो कर्नाटक में करोड़ों के फूड स्कैम का खुलासा करने वाले थे। इस मामले में परिवार के सदस्यों ने हजरतगंज थाने में धारा 302 (हत्या) के तहत केस भी दर्ज कराया था। बता दें कि 16 जून, 2017 को इस मामले को सीबीआई ने अपने हाथ में लिया था।