Story By Omkar Gokhale

High Court Notice: सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा सवाल पूछने वाले को बीते दिनों पुलिस ने बयान दर्ज करवाने के लिए समन भेजा था। अब सवाल पूछने वाले शख्स की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर पीठ (Nagpur Bench) ने महाराष्ट्र सरकार, राज्य के गृह विभाग (Home Department) और नागपुर पुलिस (Nagpur Police) को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब तलब किया है।

Plea में कहा- मौलिक अधिकारों पर अंकुश है समन

ललन किशोर सिंह द्वारा दायर याचिका पर जस्टिस रोहित बी देव और जस्टिस वाई जी खोब्रागड़े सुनवाई कर रहे थे। 61 साल के ललन किशोर सिंह ने अपने वकील जितेश दुहिलानी जरिए दलीलें देकर सहायक पुलिस निरीक्षक, यातायात (API, Traffic) द्वारा 26 दिसंबर, 2021 को उन्हें जारी किए गए नोटिस को रद्द करने की मांग की। सिंह की याचिका में कहा गया है कि एसीपी (यातायात) सिंह के खिलाफ कोई जांच करने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं हैं। साथ ही सिंह के खिलाफ जांच शुरू करना गैरकानूनी है और यह उनके मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) पर अंकुश लगाने के लिए किया जा रहा है।

RSS Office की सुरक्षा को लेकर लगाई RTI

ललन किशोर सिंह ने कहा कि उन्हें समाचार पत्रों से पता चला है कि सरकार नागपुर स्थित आरएसएस कार्यालय (RSS Office, Nagpur) को सुरक्षा प्रदान कर रही थी। इसके साथ ही RSS के बारे में दावा किया जाता है कि यह एक “अपंजीकृत एनजीओ (Unregisterd NGO)” है। इसलिए कौतूहलवश उन्होंने 30 जून 2021 को आरटीआई एक्ट के तहत अर्जी दाखिल कर राज्य के गृह विभाग के जन सूचना अधिकारी से जानकारी मांगी कि आरएसएस कार्यालय को सुरक्षा (Security) किस आधार पर दी जा रही है और कितनी दी जा रही है। इसके अलावा इस काम पर अब तक कितना खर्च किया गया है।

RTI का नहीं मिला जवाब, आ गया समन

ललन किशोर सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी आरटीआई आवेदन (RTI Application) को तब राज्य के खुफिया विभाग और बाद में नागपुर पुलिस को भेज दिया गया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद नागपुर (विशेष शाखा) के पुलिस उपायुक्त ने उन्हें सूचित किया कि विशेष शाखा को आरटीआई अधिनियम (RTI Act) से छूट दी गई है। इसलिए वह मांगी गई जानकारी प्रदान नहीं कर सकता है। सिंह ने अदालत को बताया कि 26 दिसंबर, 2021 को नागपुर शहर में एपीआई (यातायात) और एमआईडीसी ने उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस दिया था।

याचिका में सिंह ने खुद को बताया दिहाड़ी मजदूर

सिंह ने अपनी याचिका में यह दावा किया कि वह एक दिहाड़ी मजदूर है। उन्होंने कहा कि नागपुर पुलिस (Nagpur Police) बार-बार उनके सामने पेश होने का दबाव बना रही थी, जिससे उनका दैनिक काम प्रभावित हो रहा था। सिंह ने कहा, “अगर जनता से एकत्रित राजस्व (Revenue) से एनजीओ (NGO) को सुरक्षा प्रदान की जा रही है … तो यह प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार (Constitutional right) है कि वह जानकारी मांगे और सवाल उठाए।”