अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने सोमवार को गुजरात के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी आर बी श्रीकुमार की डिस्चार्ज अर्जी को खारिज कर दिया। गुजरात के पूर्व डीजीपी श्रीकुमार ने साल 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े सबूतों को गढ़ने के लिए उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में आरोपमुक्त किए जाने की मांग की थी। विस्तृत आदेश का इंतजार है। आरोप तय होने से पहले पूर्व डीजीपी ने सीआरपीसी की धारा 239 के तहत डिस्चार्ज अर्जी दायर की थी।

श्रीकुमार ने आरोपमुक्त करने के लिए दी ये दलील, खुद को बताया निर्दोष

श्रीकुमार ने इस आधार पर बरी होने की मांग की थी कि प्राथमिकी में उनके खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं है और वह निर्दोष हैं। उन्होंने दलील दी थी कि 2002 के गुजरात दंगों की जांच कर रहे नानावती आयोग के समक्ष उनके द्वारा दी गई दलीलों का इस्तेमाल उन पर मुकदमा चलाने के लिए नहीं किया जा सकता है। उन्होंने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसला का हवाला भी दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर श्रीकुमार, सीतलवाड़ और भट्ट के खिलाफ FIR

पूर्व डीजीपी श्रीकुमार, एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ अहमदाबाद की अपराध शाखा की जांच ने जालसाजी, सबूतों को गढ़ने और आपराधिक साजिश के लिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की थी। कोर्ट के इस फैसले में 2002 के दंगों में भूमिका को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी मंत्रिपरिषद और नौकरशाहों को क्लीन चिट दी गई थी।

सीतलवाड़, श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ चार्जशीट दायर

सीतलवाड़, श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ दायर चार्जशीट में तीनों पर आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 468 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में इस्तेमाल करना), 194 (झूठे सबूत देना या गढ़ना), 211 (चोट पहुंचाने के इरादे से किए गए अपराध का झूठा आरोप) और 218 (लोक सेवक का गलत रिकॉर्ड तैयार करना या किसी व्यक्ति को सजा या संपत्ति को जब्ती से बचाने के इरादे से लिखना) के तहत अपराध का आरोप लगाया गया था।

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राज्य सरकार ने किया श्रीकुमार की अर्जी का विरोध, दी ये दलील

राज्य सरकार ने मुख्य रूप से इस आधार पर आरोप मुक्त करने के लिए श्रीकुमार की याचिका का विरोध किया था कि प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत लाए गए थे। इससे यह संकेत मिलता है कि वह 2002 के गुजरात दंगों में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित उच्च पदस्थ अधिकारियों को कथित रूप से फंसाने और उनका नाम केस में शामिल करने की साजिश का हिस्सा थे।