Ghaziabad Missing Man: सोशल मीडिया का क्या ही कहा जाए… एक यू ट्यूब चैनल से राजू नाम के शख्स की कहानी वायरल होती है। मां उसकी पहचान करती है और कहती है कि यह हनुमान जी की कृपा है कि मेरा सालों पहले खो गया बेटा मुझे दोबारा मिल गया। देखते ही देखते एक बेटे के खोने और फिर 31 साल बाद दोबारा परिवार से मिलने की भावुक कहानी पर लोगों को धीरे-धीरे यकीन होने लगता है।

कहानी इमोशनल है क्योंकि एक माता-पिता को उनका वह बेटा मिल जाता है जिसकी याद में वे जिंदगी काट रहे थे। लोगों ने बेटे की राह तक रही महिला से कितना तो कहा था कि अब वह नहीं मिलेगा मगर मां तो मां ही होती है, अब वह अपने बेटे को पाकर आसमान में है। वह बेटे की नजर उतार रही है, मन्नते मांग रही है। पिता सीने से लगा रहे हैं। हालांकि इस बीच कुछ ऐसा होता है जिसे जानकर पूरा परिवार सन्न रह जाता है। दरअसल देहरादून के एक शख्स ने यूट्यूब पर कमेंट किया कि यह शख्स (राजू) उनके भी घर गुम हुआ बेटा बनकर आया था और फिर गायब हो गया। इस कमेंट के बाद हलचल मच गई, पुलिस ने मामले में जांच शुरू की तो एक के बाद नई परतें खुलने लगीं।

इसके बाद राजस्थान के सीकर के एक और परिवार ने भी दावा किया है कि वह उनके घर भी खोया हुआ बेटा बनकर आया था। फिलहाल राजू साहिहाबाद पुलिस थाने में ही है, पुलिस उसके खाने-पीने का खर्च उठा रही है। इस तरह यह कहानी यूपी, देहरादून से होकर राजस्थान के सीकर तक पहुंच गई है। लोगों का कहना है कि राजू ने तीनों परिवारों के इमोशन के साथ खेला है, मां की ममता का अपमान किया है। हालांकि पुलिस अभी भी मामले की जांच कर रही है।

राजू के डीएनए टेस्ट का इंतजार

राजू का डीएनए टेस्ट हुआ है, रिपोर्ट सामने आने के बाद पोल तो खुल ही जाएगी, पुलिस ने पहले ही उसके बाल का सैंपल ले लिया था। वहीं गाजियाबाद के परिवार के मुखिया का कहना है, “मुझे पहले ही शक था कि यह मेरा बेटा नहीं है” वहीं मां का कहना है कि यह मेरा ही बेटा है। पिता का कहना है कि डीएनए सैंपल मिल गया तो भी उसे अपने साथ नहीं रखेंगे वहीं मां कहती हैं कि डीएन मैच हो गया तो वे बेटे को साथ रखेंगी। पुलिस इस नतीजे पर नहीं पहुंची है कि राजू गाजियाबाद के शहीद नगर के तुलेराम का बेटा है या नहीं।

किन सवालों के जवाब खोज रही पुलिस?

-राजू पुराने फोटो में उन लोगों को भी पहचान रहा है जिनकी मौत हो गई?
-वह फोटो में देखकर उन रिश्तेदारों के नाम भी बता रहा, जो उसने बचपन में ही देखे थे?
-वह 30 साल पुराने अपने और पड़ोसियों के मकानों के स्ट्रक्चर के बारे में भी बता रहा है?
-मां ने उसके बचपन के सीने के तिल को पहचान लिया है ?
-बचपन के फोटो से उसकी फोटो मैच खाती है?

कहां से शुरू हुई राजू की कहानी

बता दें कि बीते दिनों राजू उर्फ ​​भीम सिंह अपने परिवार को ढूंढते हुए गाजियाबाद के खोड़ा पुलिस स्टेशन पहुंचा था और अपनी कहानी सुनाई थी। उसने बताया कि कैसे वो अपने परिवार से अलग हो गया था। पुलिस ने 31 साल पहले दर्ज की गई एक गुमशुदगी की शिकायत को खंगालते हुए उसके परिवार को बुलाया और राजू अपने परिवार से मिल गया।

राजू ने सुनाई थी दर्दनाक कहानी

राजू ने पुलिस को यह कहानी बताई थी कि जब वो सिर्फ आठ साल का था तो कुछ अज्ञात लोगों ने उसे किडनैप कर लिया था। उन्होंने उससे राजस्थान के जैसलमेर में खेतों में मजदूर के रूप में काम कराया। राजू ने बताया था कि वह पूरे दिन जमींदार की भेड़ें चराता था और काम के बाद उसे खाने के लिए केवल दाल और रोटी मिलती थी। रात में उसे बेड़ियों से जकड़ दिया जाता था, ताकि वो भाग न सके।

उसने पुलिस को यह भी बताया था कि एक व्यवसायी ने उन्हें भागने और आखिरकार गाजियाबाद पहुंचने में मदद की। वहीं पर पुलिस ने उससे पूछताछ की और फिर वह अपने परिवार से मिला, जिन्होंने उसे अपने बेटे के रूप में पहचान की थी लेकिन अब, देहरादून परिवार के दावे और सीकर के परिवार से जानकारी मिलने के बाद राजू के अतीत की सच्ची कहानी धीरे-धीरे सामने आ रही है। सीकर परिवार को उसने हिमाचल में प्रताड़ित होने की कहानी सुनाई थी। अब सीकर के परिवार के दावे के बाद साहिबाबाद पुलिस ने सीकर पुलिस से संपर्क किया है। जांच करने के लिए पुलिस सीकर भी जाएगी।

अब कहानी में सामने आया एक और ट्विस्ट

राजू इससे पहले देहरादून के लोहिया नगर के कपिल देव शर्मा के घर राजू बेटा बनकर गया था फिर गाजियाबाद के शहीद नगर के तुलेराम का बेटा बनकर उनके घर पहुंचा और अब राजस्थान के सीकर के एक गांव में परिवार का बेटा बनकर राजू के वहां रहने की जानकारी साहिबाबाद पुलिस को मिली है। इसके बाद पुलिस के भी होश उड़ गए हैं, राजू से तीन पूछताछ करने के बाद भी पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है, ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब पुलिस तलाश रही है। सीकर के परिवार का कहना है कि वीडियो में दिखने वाला राजू असल में झूठा है।

Ghaziabad Missing Man: राजू ने पुलिस को बताया कि जब वो महज आठ साल का था तो कुछ अज्ञात लोगों ने उसे अगवा कर लिया था। उन्होंने उससे राजस्थान के जैसलमेर में खेतों में मजदूर के रूप में काम कराया।