Delhi BMW Crash: दिल्ली में वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवजोत सिंह की हत्या के मामले में आरोपी गगनप्रीत कौर को मंगलवार को तिहाड़ जेल लाया गया, जहां एक अदालत ने उसे दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है। गगनप्रीत को दिल्ली पुलिस ने फर्स्ट क्लास ड्यूटी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट आकांक्षा सिंह के सामने जज के आवास पर पेश किया गया।

जमानत याचिका पर नोटिस भी जारी किया

रिपोर्ट्स के मुताबिक पटियाला हाउस कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका पर नोटिस भी जारी किया, जिस पर 17 सितंबर को सुनवाई होगी, जब उसे फिर से पेश किया जाएगा। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा आरोपियों की ओर से पेश हुए, जबकि अधिवक्ता ईशान दीवान पीड़ितों की ओर से पेश हुए। गगनप्रीत के वकील ने रिमांड का विरोध करते हुए तर्क दिया कि एफआईआर दर्ज करने में लगभग 10 घंटे की देरी हुई थी।

पाहवा ने बताया कि एफआईआर घटना के लगभग 10 घंटे बाद – रात 11:30 बजे – दर्ज की गई, जबकि दुर्घटना दोपहर 1:30 बजे हुई थी। उन्होंने तर्क दिया, “एफआईआर में दी गई जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस से मेल नहीं खाती… यह गलत लगती है।”

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उन्होंने कहा कि अगर मामला लापरवाही से गाड़ी चलाने और मौत का है, तो यह जमानती अपराध है। पाहवा ने धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) को शामिल करने का विरोध करते हुए कहा, “अगर कोई कुछ धाराएं जोड़कर इसे गैर-जमानती अपराध बनाने की कोशिश करता है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”

डीसीपी के बयानों का हवाला देते हुए, पाहवा ने कहा कि हादसा एक तीखे मोड़ पर हुआ, जिससे बीएमडब्ल्यू के अगले हिस्से के परखच्चे उड़ गए। उन्होंने तर्क दिया, “एक दोपहिया वाहन पर सवार दो लोगों को टक्कर लगी और वे एक डीटीसी बस से टकरा गए। आरोपी, उसका पति और उनके बच्चे अभी भी कार में थे – उनके एयरबैग खुल गए, और वे भी घायल हो गए। यह लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला नहीं है।”

दूर अस्पताल ले जाने की बताई यह वजह

इधर, आरोपी गगनप्रीत कौर ने पुलिस को बताया कि वह पीड़ित को 19 किलोमीटर दूर अस्पताल इसलिए ले गई थी क्योंकि वह घबराई हुई थी और केवल उसी अस्पताल को जानती थी। पूछताछ के दौरान, गगनप्रीत ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान उसके बच्चे वहां भर्ती थे, इसलिए उसे उस वक्त यही सही लगा।

हालांकि, पीड़ित की पत्नी और बेटे ने आरोप लगाया कि उसने जानबूझकर आस-पास के अस्पतालों में जाना नहीं चाहा। अपनी प्राथमिकी में, नवजोत सिंह की पत्नी ने कहा कि दुर्घटना के बाद भी उसके पति जीवित थे और उसने बार-बार आरोपियों से उन्हें पास के अस्पताल ले जाने की विनती की, लेकिन गगनप्रीत ने उसकी बात अनसुनी कर दी।

पीड़ित के बेटे ने आरोप लगाया कि समय पर इलाज से उसके पिता को बचाया जा सकता था, और दावा किया कि आरोपियों ने उस अस्पताल को इसलिए चुना क्योंकि वह उनके जानने वालों का था।

उन्होंने आरोप लगाया, “जरूर कुछ गड़बड़ थी। मेरे माता-पिता को एक डिलीवरी वैन में ले जाया गया। जब मेरी माँ को होश आया, तो वह पैसेंजर सीट पर थीं और उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो मेरे पिता लेटे हुए थे। वहां के लोगों का कहना था कि दुर्घटना के तुरंत बाद मौत बहुत कम होती है। लेकिन वे उन्हें 20 किलोमीटर दूर एक अस्पताल ले गए, जो बीएमडब्ल्यू चला रही लड़की का था। उसके पति को भी उसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।”

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गौरतलब है कि रविवार को हुई इस दुर्घटना में आर्थिक फाइनेंस मिनिस्ट्री के उप सचिव नवजोत सिंह की मौत हो गई, जब धौला कुआँ के पास एक तेज रफ्तार नीली बीएमडब्ल्यू ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। उनकी पत्नी संदीप कौर कई फ्रैक्चर और सिर में चोटों के साथ बच गईं।

दुर्घटना के बाद, नवजोत सिंह और उनकी पत्नी को एक डिलीवरी वैन में जीटीबी नगर के एक अस्पताल ले जाया गया। आरोपी उनके साथ था और उसने वैन ड्राइवर को घटनास्थल से 19 किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचाया। मोहम्मद गुलफाम, जिसने वैन को अस्पताल पहुंचाया, से जब पूछा गया कि वह पीड़िता को आरोपी के निर्देश पर इतनी दूर अस्पताल क्यों ले गया, तो उसने कहा कि “उसने वही किया जो उसे सही लगा।”