दाउद इब्राहिम का नाम देश के मोस्टवांटेड अपराधियों में शामिल है। 1993 में मुंबई बम धमाकों (Mumbai Serial Bomb Blasts) से पहले देश छोड़कर भाग निकले दाउद की तलाश आज भी अधूरी है। दाउद ने भले सालों तक मुंबई पर धाक जमा रखी थी पर एक बार डकैती के मामले में फंसने पर उसके कांस्टेबल पिता ने उसे पूरी रात बेल्टों से पीटा था। इसके बाद उसे कबूलनामा लिखवाने खुद थाने भी लेकर गए थे।

बता दें कि, दाउद इब्राहिम का जन्म मुंबई के रत्नागिरी जिले में हुआ था। दाउद के पिता शेख इब्राहिम अली कासकर मुंबई पुलिस (Mumbai Police) में कांस्टेबल थे। शेख इब्राहिम पूरे परिवार के साथ मुंबई के डोंगरी इलाके में रहते थे। स्कूल छोड़ने के बाद दाउद छोटे अपराधियों की संगत में आया तो ड्रग्स सप्लाई, चोरी और लूटपाट के धंधे में शामिल हो गया।

70 के दशक में दाउद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) किसी बात को लेकर हाजी मस्तान से खफा हो गया। उस जमाने में हाजी मस्तान की धाक मुंबई में चरम पर थी। इधर गुस्साए दाउद के अंदर बदले की आग सुलग रही थी। साल 1974 में उसके गुर्गों ने बताया कि करीब 5 लाख रुपयों से भरी वैन हाजी मस्तान के मालाबार हिल स्थित घर जाने वाली है।

साल 1974 के दिसंबर महीने में दाउद इब्राहिम ने लूट की योजना तैयार की और अपने आठ गुर्गों के साथ लोहे की छड़े, बंदूक और धारदार हथियार जुटा लिए। इस वारदात को अंजाम देने के लिए दाउद ने अपने दो सबसे ताकतवर साथी शेर खान और सैयद सुलतान की मदद ली। इसके बाद तय योजना के मुताबिक लूट को अंजाम भी दिया।

इस लूट की घटना के अगले दिन अख़बारों में खबर दिखी तो सभी के होश उड़ गए। दरअसल दाउद ने हाजी मस्तान (Haji Mastan) की वैन नहीं बल्कि मेट्रोपोलिटन बैंक की कैश वैन लूटी थी। इस लूट में 4 लाख 75 हजार रुपये गायब हुए थे और यह घटना उस दशक की सबसे बड़ी बैंक डकैती थी।

लूट के वक्त दाउद इब्राहिम के पिता शेख इब्राहिम कासकर मुंबई क्राइम ब्रांच में तैनात थे। इस लूटकांड (Robbery) की पहेली सुलझाने और आरोपियों को दबोचने की टीम में वह भी शामिल थे। जांच के दौरान जब उन्हें पता चला कि यह कांड दाउद इब्राहिम के द्वारा ही अंजाम दिया गया है तो वह दंग रह गए। इसके बाद वह घर लौटे और पूरी रात दाउद की बेल्ट से पिटाई की और फिर उसे थाने ले जाकर कबूलनामा लिखवाया।

मेट्रोपोलिटन बैंक (Metropolitan Bank) डकैती का यह केस 15 साल तक कोर्ट में चला फिर 1989 में निचली अदालत में दाउद, शेर खान और सैयद सुलतान को छोड़कर अन्य सभी को बरी कर दिया था। समद खान की हत्या में नाम सामने के बाद साल 1987-88 के बीच दाउद देश छोड़कर दुबई भाग गया। फिर साल 1992 में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दाउद इब्राहिम के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया था। हालांकि, यह मामला मुख्य आरोपी के देश से बाहर चले जाने के कारण आज तक विचाराधीन है।