असम पुलिस ने ‘लेडी सिंघम’ सब-इंस्पेक्टर जुनमोनी राभा की मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने का फैसला किया है। असम के डीजीपी जीपी सिंह ने शनिवार को कहा कि एक महत्वपूर्ण कदम में उन्होंने दो जिलों नौगांव और लखीमपुर में पुलिस अधीक्षक लीना डोले और बेदांता माधब राजखोवा सहित सभी अधिकारियों के स्थानांतरण की सिफारिश की है। सड़क दुर्घटना में राभा की मौत की सूचना मिलने के बाद से चार दिनों में गड़बड़ी के आरोप सामने आए हैं, साथ ही उनके परिवार ने इन जिलों में पुलिस कर्मियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।

जुनमोनी राभा की मौत, सड़क हादसा या साजिशन हत्या

असम पुलिस ने भी शुक्रवार को अपने चार अधिकारियों को “आरक्षित बंद” में रखा। इसका अर्थ है कि जांच जारी रहने के दौरान उन्हें प्रशासनिक अवकाश पर रखा गया है। नौगांव जिले में मोरीकोलोंग पुलिस चौकी में एक सब-इंस्पेक्टर के रूप में तैनात जुनमोनी राभा की कार को एक ट्रक ने आधी रात को टक्कर मार दी थी। इलाज के लिए पहुंचाने पर एक अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।

राभा की मौत के एक दिन पहले लखीमपुर जिले में जबरन वसूली और डकैती की धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिसमें राभा को आरोपी बनाया गया था। राभा की मौत के बाद उसके परिवार ने दावा किया कि वह जिले में नकली नकदी और सोने के “सांठगांठ” की जांच कर रही थी।

डीजीपी ने सीबीआई को सौंपी जांच

डीजीपी सिंह ने कहा, “मैंने देखा है कि जनभावना चाहती है और मांग करती है कि मामले को सीबीआई द्वारा संभाला जाए। दूसरा, चूंकि हमारे एक पुलिस अधिकारी की जान चली गई है, इसलिए यह उचित समझा जाता है कि मामले की जांच एक तटस्थ एजेंसी द्वारा की जाए।” उन्होंने कहा कि “निष्पक्ष जांच के हित में” लखीमपुर और नागांव जिलों के सभी अधिकारियों को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है।

जुनमोनी राभा की मां ने कहा- दुर्घटना नहीं हत्या की गई

जुनमोनी राभा की मां सुमित्रा राभा ने पुलिस शिकायत में आरोप लगाया है कि उनकी बेटी की मौत एक हत्या थी दुर्घटना नहीं। उन्होंने लिखा है कि 15 मई को उनकी बेटी नौगांव में अपने क्वार्टर से दोपहर 3 बजे के आसपास निकली थी। उन्होंने परिवार को बताया था कि उसे एसपी ने बुलाया था। शाम 5.30 बजे के आसपास लौटी। फिर 6.30 बजे के आसपास फिर से यह बताते हुए कि उसे दोबारा तलब किया गया है वह बाहर निकल गई।

सुमित्रा राभा शिकायत में कहा गया है, “जब वह देर रात तक नहीं लौटी, तो मैंने उसे लगभग 10 बजे फोन किया और उसने मुझे चिंता न करने के लिए कहा। उसने कहा कि वह एक अन्य सब-इंस्पेक्टर के साथ है। जब मैंने उसे 11 बजे के आसपास फिर से कॉल करने की कोशिश की, तो उसके दोनों फोन स्विच ऑफ थे।”

शव को देखकर मां ने जताया रॉड से मारे जाने का शक

वह बताती हैं कि बाद में उस रात 1.30 बजे से 2.00 बजे के बीच पुलिस की एक टीम राभा के क्वार्टर पर पहुंची और वहां से नकदी जब्त करते हुए छापा मारा। उसने यह भी आरोप लगाया कि अगले दिन राभा का पोस्टमार्टम भी उसकी सहमति के बिना किया गया था। उन्होंने दावा किया कि बाद में जब राभा के शव को देखा तो ऐसा लगा कि “इसे अलग-अलग जगहों पर रॉड से मारा गया था।”

इस बीच, वर्तमान में गुवाहाटी में राभा परिवार के घर में रहने वाली हसीना बेगम नाम की एक महिला है। वह राभा के लिए एक मुखबिर होने का दावा करती है। उससे राभा को सोने के जालसाजों के “सांठगांठ” का पर्दाफाश करने में मदद मिली। एसआई इसकी जांच कर रही थी।

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राभा की मौत के बाद 71 लोगों की गिरफ्तारी

असम के डीजीपी सिंह ने शनिवार को यह भी बताया कि राभा की मौत के बाद से नकली नोट और सोने के खिलाफ कार्रवाई में 71 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा, “मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि अगले 30 दिनों में असम से नकली सोने और नकली सोने का यह कारोबार पूरी तरह से खत्म हो जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि वह “किसी भी आपराधिक प्रकृति की गतिविधि में शामिल पाए जाने वाले किसी भी पुलिस अधिकारी के खिलाफ वह बिल्कुल दया नहीं करेंगे।”