Punjab Crime News: पंजाब के जालंधर की एक अदालत ने गुरुवार को एक कथित ड्रग डीलर को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोषी ठहराया और उसे चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि यह पंजाब में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामले में इस तरह की पहली सजा है, जहां एक आरोपी को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में दोषी ठहराया गया है।

ईडी द्वारा पहले कुर्क की गई सभी अचल संपत्तियां जब्त

जालंधर की प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) विशेष अदालत ने अमृतसर जिले के धुन गांव के निवासी महाबीर सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में दोषी ठहराया था। विशेष न्यायाधीश निरभौ सिंह गिल ने महाबीर सिंह को 20,000 रुपये का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया। इसके अलावा, ईडी द्वारा पहले कुर्क की गई उनकी सभी अचल संपत्तियों को पीएमएलए की धारा 8(5) के तहत जब्त कर लिया गया है।

क्या है जालंधर में ईडी की प्राथमिकी का पूरा मामला

जालंधर में ईडी ने 25 अप्रैल, 2008 को अमृतसर जिले के सदर पुलिस स्टेशन में दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर इस मामले की जांच शुरू की थी। महाबीर सिंह और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 और शस्त्र अधिनियम, 1959 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी।

इसके बाद ईडी ने 21 अक्टूबर, 2009 को एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की और आरोपी का बयान पीएमएलए अधिनियम की धारा 50 के तहत दर्ज किया गया। सिंह ने कथित तौर पर स्वीकार किया कि वह दिसंबर 2007 से हेरोइन की तस्करी में शामिल था, वह पहले ही 3 किलो हेरोइन बेच चुका था और 15 किलो हेरोइन उसके पास थी।

ड्रग्स के कारोबार से कमाए रुपये से खरीदी अचल संपत्ति

ईडी के सहायक निदेशक जेपी सिंह की जांच में खुलासा हुआ कि महाबीर सिंह ने नशीले पदार्थों के व्यापार से जुटाए अपराध की आय को अचल संपत्तियों में निवेश किया। इसके बाद ईडी ने इन संपत्तियों को कुर्क कर लिया था। जांच के बाद, ईडी जालंधर ने पीएमएलए के प्रावधानों के तहत 2017 में अभियोजन शिकायत दर्ज की। अदालत ने कहा कि सबूतों से यह स्पष्ट था कि दोषी हेरोइन की तस्करी में काम करते हुए “खुद को समृद्ध” कर रहा था और उसने अपराध की आय से अचल संपत्ति खरीदी थी।

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अगस्त 2011 में भी दोषी ठहराया जा चुका है महाबीर सिंह

विशेष अदालत ने कहा कि ऐसे लोगों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जा सकती जो नशीले पदार्थों की तस्करी करते हैं और फिर अपराध की आय से अचल संपत्ति खरीदते हैं। अगस्त 2011 में भी महाबीर सिंह को अमृतसर की एक विशेष अदालत ने 15 किलो हेरोइन की बरामदगी से जुड़े एक मामले में दोषी ठहराया था।