उत्तर प्रदेश के बनारस में एक रसूखदार परिवार में जन्मा एक बच्चा, जिसके पिता इलाके के जाने-माने जमींदार थे। लड़का पढ़ने-लिखने में भी ठीक था लेकिन जिस साल उसने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की, उसी साल पिता का मर्डर हो गया। इसके बाद उस लड़के ने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए बंदूक उठा ली और अपने कथित हत्यारों को ढूंढ-ढूंढकर मार डाला। आगे चलकर यह लड़का बृजेश सिंह के नाम से जाना गया।
मेधावी छात्र था ब्रजेश सिंह: छात्र जीवन में बृजेश का नाम मेधावी छात्रों की लिस्ट में गिना जाता था। लेकिन 1984 में पिता की हत्या और उसका बदला लेने के बाद बृजेश की जिंदगी एकदम से बदल गई। बृजेश को गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। जेल में उसकी मुलाकात त्रिभुवन सिंह नाम के अपराधी से हुई। इसके बाद दोनों ने मिलकर पूर्वांचल में गैंग के सहारे ढेर सारी वारदातों को अंजाम दिया। रेशम, अवैध शराब के ठेकों और कोयले के कारोबार के चलते उसकी रार मुख्तार अंसारी से भी ठन गई। इसके बाद दोनों की गैंग्स में कई बार हिंसक झड़प हुई।
मुंबई में हुई इस डॉन से मुलाकात: 90 का दशक था और जब पुलिस व मुख्तार से दुश्मनी बढ़ी तो बृजेश कुछ दिनों के लिए मुंबई निकल गया और यहां सुभाष ठाकुर के माध्यम से दाउद इब्राहिम से मिला। दाउद ने अपने जीजा की मौत का बदला लेने के लिए बृजेश से कहा तो उसने साल 1992 में जेजे अस्पताल में घुसकर माफिया अरुण गवली के गैंग के चार लोगों को पुलिस की निगरानी के बावजूद मौत के घाट उतार दिया। अस्पताल में हत्या के जुर्म में उस पर मुकदमा भी दर्ज हुआ पर सबूत के अभाव में वह बच निकला।
जब दाउद से भी हो गई दुश्मनी: बृजेश जब दाउद के लिए काम कर रहा था तो उसे इस बात की भनक भी नहीं थी कि दाउद मुंबई में सीरियल बम धमाकों की साजिशरच रहा है। धमाकों के बाद दोनों कुख्यात अपराधियों के बीच दुश्मनी हो गई। फिर बृजेश कई सालों तक शांत रहा लेकिन 2002 में कई सालों तक फरार रहे बृजेश पर यूपी पुलिस ने 5 लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया था।
कोयला माफिया के बेटे की हत्या का था आरोप: 5 लाख के इनामी बृजेश सिंह का नाम कोयला माफिया सूर्यदेव के बेटे राजीव सिंह के कत्ल में भी सामने आया था। यह 2003 का साल था जब सिंह का आतंक चरम पर था लेकिन इसके बाद वह पुलिस से छिपता रहा। इसके बाद 2008 में उसे उड़ीसा से अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया।