हाल ही में आए विश्व भर के देशों में जन्मे बच्चों के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। इस खबर के मुताबिक विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन में अंदाज से भी काफी कम बच्चे का जन्म हुआ। वहीं भारत में यह आंकड़ा सामान्य से ज्यादा रहा। जाहिर है, कोरोना काल में जन्मे ये बच्चे खास हैं। पर ये विश्व के विभिन्न देशों के सालाना जन्म दर की कहानी जरूर बताते हैं।
चीन से तुलना इसलिए लाजिमी है कि उससे जनसंख्या आंकड़ों के मामले में हम महज कुछ ही कदम दूर हैं। यानी दोनों देशों के प्रगति पथ की तस्वीर भी प्रस्तुत करते नजर आते। ऐसे में यह आकलन सही है कि हम जल्द ही चीन को पछाड़ कर विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाले देशों में शुमार होंगे।
आज हमारे नीति नियंता इस बात पर इतराते नजर आते हैं कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी है इसकी युवा आबादी। पर अगर इस आबादी को सही दिशा में न मोड़ा गया और इनका उत्पादकता और विकास में सकारात्मक उपयोग नहीं किया गया तो ये समय पूर्व ही संसाधन बनने बजाय बोझ बन जाएंगे।
फिर हमें इस बात को भी तैयार रहना होगा कि ये आबादी कभी वृद्धावस्था को प्राप्त कर बोझ भी बनेगी, यानी एक बड़ी आबादी उत्पादक कार्यों से दूर होगी। फिर उसके बाद सत्ताओं द्वारा आबादी बोझ बताने का खेल शुरू होगा। लेकिन सक्षम आबादी का सदुपयोग किया जाए तो आबादी का कोई भी हिस्सा बोझ नहीं बन सकता, वह युवा हो या फिर बुजुर्ग।
’मुकेश कुमार मनन, पटना, बिहार