हाल ही में आत्मरक्षा के तर्क पर पुलिस द्वारा कुख्यात विकास दुबे को मुठभेड़ में मार दिया गया और बताया गया कि अपराधी फरार होने की कोशिश कर रहा था। घटना के बाद पुलिस की कारवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं, जिसकी अब जांच की मांग उठी है। कुछ समय पहले तेलंगाना पुलिस ने बलात्कार के आरोपियों को इसी तरह मार डाला था। तब ज्यादातर लोग उन आरोपियों को मार डाले जाने के समर्थन में दिखे थे। लेकिन कुछ लोगों का मानना हैं कि क्या देश में कानून के शासन के बदले पुलिस शासन स्थापित हो रहा है।

मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाओं का आम लोग इसलिए समर्थन करते हैं कि हमारे देश आम नागरिक को न्याय मिलने में वर्षों लग जाते हैं। इसके बावजूद मुठभेड़ हत्या का समर्थन महज भावनात्मक मामला है, क्योंकि एक प्रकार से इस व्यवस्था में पीड़ित को ‘त्वरित न्याय’ मिल जाता है, लेकिन न्याय की प्रक्रिया हाशिये पर रह जाती है।

यहां नागरिक के तौर पर एक बात समझनी होगी कि भारत के संविधान निमार्ताओं ने लंबा वक्त लेकर कड़ी मेहनत और हरेक पहलू पर गहन चर्चा करने के बाद संविधान बनाया था। उन्होंने एक ऐसी बेहतरीन व्यवस्था कायम करने की कोशिश की, जहां सभी को न्याय मिल सके। भारत के संविधान में कानून का शासन (रूल आफ लॉ) को अहमियत दी गई, ताकि राज्य, जो शक्ति का प्रतीक है, वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न कर सके।

देश में कानून के शासन के अनुसार कार्य करना राज्य यानी सरकार की जिम्मेदारी है और इस पर नजर रखने की जिम्मदारी सुप्रीम कोर्ट को दी गई है। अगर जनता लोकतंत्र के बदले पुलिस तंत्र का समर्थन करती है, तब भविष्य में इसके दुष्परिणाम जनता को ही खुद सहना पड़ेगा।

इसके अलावा, विश्व के किसी भी लोकतांत्रिक देश में जब अपराध और मुठभेड़ और उसमें आरोपियों के मारे जाने जैसी घटनाओ की संख्या बढ़ने लगती है, तब उस देश को वैश्विक लोकतांत्रिक सूचकांक में निचले पायदान में रखा जाता है। इस मामले में भारत की उपलब्धि संतोषजनक नहीं है। इसलिए लोकतंत्र के मूल्यों को बचाए रखने के मकसद से सरकार को त्वरित अदालतों का गठन करने सहित न्यायधीशों की संख्या बढ़ानी चाहिए।

वर्तमान में पुलिस सुधार की भी बहुत ज्यादा आवश्यकता है, ताकि पुलिस को किसी के दबाव में काम न करना पड़े और किसी भी मामले की वह निष्पक्ष जांच कर सके। आम नागरिक की भी जिम्मेदारी है कि मात्र भावनाओं के आधार पर किसी भी मुठभेड़ हत्या पर समर्थन करने से पहले अपने बीच लोकतांत्रिक चेतना को जगाएं, ताकि नागरिक के तौर पर लोग सही-गलत के बीच फर्क को महसूस कर सकें।
’निशांत त्रिपाठी, कोंढाली, नागपुर</p>

किसी भी मुद्दे या लेख पर अपनी राय हमें भेजें। हमारा पता है : ए-8, सेक्टर-7, नोएडा 201301, जिला : गौतमबुद्धनगर, उत्तर प्रदेश</strong>
आप चाहें तो अपनी बात ईमेल के जरिए भी हम तक पहुंचा सकते हैं। आइडी है : chaupal.jansatta@expressindia.com