यह चिंता का विषय है कि महाराष्ट्र, केरल और देश के कुछ अन्य राज्यों में कोरोना मामले फिर बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने कुछ जगहों पर एक मार्च तक सात दिनों के लिए पूर्णबंदी की घोषणा कर दी है। देश में टीकाकरण शुरू किया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम लापरवाह हो जाएं। सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी है।
मास्क का प्रयोग, दो मीटर की दूरी और सैनिटेशन बीमारी से बचने के लिए आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र ने महामारी को रोकने के लिए उचित प्रबंधन के लिए भारत की प्रशंसा की है और डेढ़ सौ से अधिक देशों में दवाइयां भेजने के लिए हेतु धन्यवाद दिया है। भारत ने अन्य देशों को भी सुरक्षा किट भेजे हैं।
अब हम अन्य देशों को टीके दे रहे हैं। हमारी स्वयं की इतनी बड़ी जनसंख्या के होने के बावजूद अन्य देशों में वैक्सीन भेजने का कार्य अच्छा और बहुत बड़ा काम है। अब अगर हम लापरवाह हुए तो यह हमारे परिश्रम को बर्बाद कर देगा।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर, हिप्र
क्रूरता की जड़ें
हमारे समाज में महिलाओं को देवी का दर्जा तो दिया जाता है, लेकिन उनके खिलाफ कोई अपराध होता है तो उसे लेकर हम अत्यधिक सहनशील भी होते हैं। इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है। हाल ही में मध्यप्रदेश के सतना जिले में एक डेंटल डॉक्टर ने अपने क्लीनिक की सहायिका को निर्मम तरीके से कुत्ते के साथ जमीन में दफना दिया।
बयान में उसने कहा कि किसी को बदबू के कारण शक होता तो मैं कह सकता था कि वहां कुत्ते को दफनाया गया है। महिलाओं के खिलाफ ऐसी घटनाएं आए दिन क्यों घट रही हैं? क्या अब लोगों के मन में गलत काम को सजा का कोई डर नहीं रहा या फिर लोग इतने क्रूर हो चुके हैं कि अपराध करते समय उसका मन विचलित नहीं होता? क्या अपराधों का वर्गीकरण करके सजा में सख्ती के अलग से प्रावधान नहीं किया जाना चाहिए?
’प्रभात पांडेय, सतना, मप्र