एक तरफ हम कहते हैं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है, अनेकता में एकता है। हम भारतीय संस्कृति की बात करते हैं, जिसमें कहा गया है कि यहां केवल दुखों का बंटवारा होता है। दूसरी ओर हम जाति धर्म और भाषा को लेकर आपस में लड़ते हैं। कहीं राज्यों के बीच पानी को लेकर तलवारें खिंची रहती हैं और कहीं जमीन को लेकर झगड़ा है। असम और मिजोरम के बीच जो हुआ, उससे साफ है कि दो राज्यों के बीच जमीन के कुछ हिस्से को लेकर हालात इस कदर बिगड़ सकते हैं कि एक राज्य के कुछ पुलिस के जवान मारे जाएं पचासों घायल हो जाएं। यह कड़वा सच है कि लोग कहीं जाति तो कहीं धर्म के नाम पर और कहीं पानी, भाषा और जमीन के टुकड़ों के नाम पर बंटे हुए हैं। इसी कमजोरी का फायदा पड़ोसी देश उठाते हैं। केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इन समस्याओं का हल निकालना चाहिए।
’चरनजीत अरोड़ा, नरेला, दिल्ली

कैसे आंकड़े

केंद्र सरकार ने अब जाकर राज्यों से आॅक्सीजन की कमी से हुई मौतों का आंकड़ा देने को कहा है। उससे पहले सरकार के स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने संसद में बयान दिया था कि आॅक्सीजन की कमी से कोई भी मौत नहीं हुई है। अगर कोई मौत हुई नहीं तो फिर अब सरकार आंकड़ा क्यों मांग रही है? जाहिर है, सरकार ने यह जानने का कोई प्रयास नहीं किया कि आॅक्सीजन की कमी से कोई मौत हुई है या नहीं हुई है! जो जानकारी वह अब मांग रही है, संसद में बयान देने से पहले भी मांग सकती थी। राज्यों द्वारा आंकड़े देने के बाद भी उनकी विश्वसनीयता का सवाल तो बना ही रहेगा। लोग यह सोचेंगे कि इन आंकड़ों की हकीकत क्या है!
’नवीन थिरानी, नोहर, राजस्थान</p>