आॅस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन एक के बाद एक विवादों में फंसते जा रहे हैं। पहले संसद के भीतर, सेक्स कांड के कारण देश में वे घृणा के पात्र बने। उसके बाद भारत भ्रमण कर रहे करीब नौ हजार आॅस्ट्रेलियाई नागरिकों के लिए जारी किया गया तुगलकी फरमान उनके गले का फांस बन गया है। उन्होंने भारत आए अपने नागरिकों को उनके वतन लौटने का अधिकार छीन लिया है। पकड़े जाने पर जुमार्ने के साथ-साथ जेल की सजा देने की बात की गई है। जबकि अन्य देशों में भी जब महामारी फैली थी तो किसी ने भी ऐसा तानाशाही फरमान नहीं सुनाया था। उन्हें एक निश्चित समय के लिए एकांतवास में रहने को कहा गया था। यही नियम इस समय भी लागू किया जा सकता था। देश विदेश में हो रही निंदा को देखते हुए मॉरिसन ने 15 मई के बाद इस कानून को आगे नहीं बढ़ाने का निर्णय लेकर भूल सुधार करने की कोशिश की है ।
’जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर
अनाज खरीद के संकट
देश में हर साल समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीदी की जाती है। यह प्रत्येक वर्ष का निर्धारित कार्यक्रम है। किंतु फिर भी समर्थन मूल्य पर खरीदी के दौरान अव्यवस्थाओं का बोलबाला पाया जाता है। बारदाने का कम पड़ना, भंडारण की अपर्याप्त व्यवस्था, बारिश एवं अन्य प्राकृतिक कारणों से अनाज का सड़ना, ढुलाई में विलंब, किसानों को भुगतान में देरी आदि अनेक समस्याओ से खरीदी के दौरान किसानों व संबंधित एजेंसियों को दो-चार होना पड़ता है। जब हर साल खरीद होनी है तो सरकारें क्यों नहीं ऐसा प्रबंधन विकसित करतीं जिसके माध्यम से सारा कार्य कुशलता पूर्वक संपन्न हो सके। अनाज के भंडारण के लिए पर्याप्त संख्या में गोदामों का निर्माण कराया जा सकता है। मंडियों में स्थायी रूप से टप्पर बनवाए जा सकते हैं। इसी प्रकार से अनाज की ढुलाई और किसानों को समय पर भुगतान के लिए भी नीति निर्धारित की जा सकती है।
’ललित महालकरी, इंदौर</p>