आजकल टीवी धारावाहिकों में जो चल रहा है, कई बार विज्ञान के इस युग में यह विश्वास नहीं होता कि लोगों को और ज्यादा पिछड़ेपन में धकेलने की कोशिश की जा रही है। आज भारत मंगल ग्रह तक पहुंच चुका है। हमारे वैज्ञानिकों ने भारत को दुनिया भर में एक पहचान दिलाई है। लेकिन विज्ञान के आविष्कारों का सहारा लेकर हमारे टीवी सीरियल आज भी अंधविश्वास, भूत-प्रेत, आत्मा, रहस्यमय, झाड़-फूंक जैसी बातें परोस रहे हैं।
पिछले कुछ समय से हिंदी टीवी धारावाहिकों में इस तरह की कहानियां लगातार देखने को मिल रही हैं। मसलन, कलर्स चैनल पर नया धारावाहिक ‘नागिन’ पूरी तरह से अंधविश्वास पर आधारित है। एनडटीवी पर ‘हमारी अधूरी कहानी’ भी इसी तरह का सीरियल है। टीआरपी की दौड़ में ‘बिग बॉस’ भी कहां पीछे रह सकता था। घर के अंदर मानव कंकाल को जगह-जगह लगा कर ‘भूत आया, भूत आया’ का खेल खेला जा रहा है। एक और लोकप्रिय हो रहा धारावाहिक ‘भाभी जी घर पर हैं’ भी भूत के साये से दूर नहीं है। जितने भी सीरियल आज आम घरों में देखे जाते हैं, ज्यादातर में किसी न किसी बहाने भूत-प्रेत की कहानी जोड़ी जा रही है। एक सीरियल ‘ससुराल सिमरन का’ में तो कई महीनों से आत्मा-आत्मा का खेल चल रहा है। लेकिन ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट काउंसिल (बीसीसीसी) की नजर इस पर नहीं पड़ती।
1988 में चले एक टीवी सीरियल ‘होनी अनहोनी’ को अंधविश्वास, भूत-प्रेत जैसी सामग्री के चलते दूरदर्शन पर प्रसारित करने से रोक दिया गया था। हालांकि बाद में अदालत ने इसे प्रसारित करने के आदेश दे दिए थे। बीसीसीसी पहले ही इस तरह की कहानियों को प्रसारित करने वाले चैनलों को दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। इसके बावजूद धारावाहिकों में तेजी से इन अंधविश्वासी कहानियों को प्रसारित किया जा रहा है। सवाल यह भी है कि बीसीसीसी आखिर तभी क्यों सक्रिय होता है, जब कोई इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराता है!
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सभी को बोलने और अपनी राय रखने का अधिकार है, लेकिन इस अधिकार के लिए 19(2) में कई सीमाएं भी बताई गई हैं। टीवी पर दिखाए जा रहे भूत-प्रेत से भरे धारावाहिक जनहित में नहीं हो सकते। इसलिए इन पर रोक लगनी चाहिए।
’रोहित चौधरी, दिल्ली</p>