घोटालों के कारण देश के बैंक धीरे-धीरे खोखले होते जा रहे हैं। इन घोटालों में एक नाम एबीजी शिपयार्ड का भी जुड़ चुका है। यह कैसी व्यवस्था है, जिसमें कंपनिया देश के लोगों की जमा पूंजी को बैंकों से हथिया कर हजम कर जाती हैं और सरकार इस पर कोई जवाब देने की स्थिति में नहीं होती।
अब तो बैंकों के साथ-साथ स्टाक एक्सचेंज भी गजब के गुल खिला रहे हैं।
यानी बैंकों के घोटालों के बाद भी अगर कहीं कोई कमी रह गई थी कि अब नेशनल स्टाक एक्सचेंज जो देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का एक माना हुआ स्टाक एक्सचेंज है और जिस पर विश्वास करके करोड़ों निवेशक अपने जीवन की कमाई शेयरों में लगाते हैं, उसे कोई रहस्यमई बाबा या योगी चला रहा था। और उसके साथ एक्सचेंज के सारे गोपनीयता साझा की जा रही थी।
कौन था यह बाबा? स्टाक एक्सचेंज को नियंत्रित करने वाली संस्था सेबी क्या कर रही थी? उसे कैसे पता नहीं लगा और पता लगने पर भी उसने कैसे कुछ जुर्माना लगा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली? वित्त मंत्रालय ने क्या कार्रवाई की? सरकार इन सब घटनाओं पर मौन धारण किए हुए है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। यह एक सच्चाई है कि अब आम आदमी की जमा पूंजी न तो बैंकों में सुरक्षित है और न ही शेयर बाजार में।
- नवीन थिरानी, नोहर
दागी का सफाया
पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया में सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी जीत के लिए शाम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बाहुबली और माफिया को टिकट देकर येन केन प्रकरेण सत्ता पाने की लालसा में राजनीतिक दल यह भूल जाते हैं कि प्रजातंत्र में जनता ही जनार्दन होती है। इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों से भारतीय राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाली है।
ऐसे समय जब देश राजनीति के कठिन दौर से गुजर रहा है, पांचों राज्यों के विधानसभा के मतदाताओं को चाहिए कि वे इस महायज्ञ में अपनी आहुति के रूप में मतदान अवश्य करें और गुंडा, माफिया और आपराधिक प्रवृत्ति के उम्मीदवारों को टिकट देने वाले राजनीतिक दलों को सबक सिखाने का काम करें।
- नरेन्द्र राठी, मेरठ</li>
