अवैध रूप से बनी जहरीली शराब पीकर सैकड़ों लोगों के मरने की खबरें अक्सर आती रहती हैं। विडंबना यह है कि अब ये हृदय विदारक खबरें बहुत से संवेदनशील और करुणा रखने वाले लोगों के हृदय को भी नहीं झकझोर पा रहीं हैं। हकीकत यह है कि इस प्रकार के जहरीली शराब बनाने वाले माफिया और असामाजिक तत्त्व जो यहां के भ्रष्ट पुलिस और आबकारी विभाग के निरीक्षणकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की परोक्ष देखरेख और संरक्षण में जहरीली शराब बनाने का काम करते हैं।

ऐसे भ्रष्ट गठबंधन को थोड़े समय के लिए कभी-कभी असुविधाजनक स्थिति तब आती है, जब विषाक्त शराब पीने से ज्यादा संख्या में गरीब, अशिक्षित नशेड़ियों की मौत हो जाती है और यह खबर पूरे देश को पता चल जाता है। तब दिखाने के लिए पुलिस वाले और आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर निर्जन और सुनसान जगहों में बनी अवैध शराब बनाने की भट्ठियों को नष्ट करते हुए दिख जाते हैं।

मगर कुछ दिनों बाद फिर सब कुछ पूर्ववत चलने लगता है। यह सिलसिला सालों से सामान्य गति से चल रहा है। इसलिए जहरीली शराब से लोगों के मौत की जिम्मेदार सीधे भ्रष्ट व्यवस्था व्यवस्था, सत्तारूढ़ सरकारें हैं, क्योंकि कभी सहारनपुर में, कभी कुशीनगर में, कभी असम के गोलाहाट में और जोरहाट जिलों में तो कभी पंजाब या हरियाणा में लोगों के मरने की खबरें आती रहती हैं। सवाल है कि प्रश्न है कि क्या इस देश में यह दुखद किस्सा कभी खत्म होगा या अनवरत यों ही चलता रहेगा?

इसका सीधा-सा उत्तर है कि इस देश में जब तक भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा रहेगी, तब तक इस तरह दुखद मौतों का सिलसिला चलता ही रहेगा। पुलिस की ओर से दिखावे की तात्कालिक कार्रवाइयां और सरकारें की ओर से मृतकों की परिजनों को मुआवजा बांट कर इस गंभीर समस्या का मानो समाधान ढूंढ़ लेती हैं!

ऐसा लगता है कि यहां अपनी सत्ता को कायम रखने के लिए एक सुचिंतित नीति के तहत गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा आदि समस्याओं को बरकरार रखना जरूरी है! इससे भूख, गरीबी और बेरोजगारी से त्रस्त अधिकतर जनता अगले जून की रोटी का जुगाड़ करने के अलावा कुछ सोच ही नहीं सकती। इसी विकृत सोच में इस देश के कर्णधारों की सत्ता की ‘अक्षुण्णता का राज’ छिपा है।
’निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उप्र

नई उम्मीद

एक नए अमेरिका का उदय की उम्मीद के साथ अमेरिका को अपना छियालीसवां राष्ट्रपति मिल चुका है। अमेरिका के इतिहास में यह अब तक का सबसे दिलचस्प मुकाबला था। अमेरिका के इस उदय उन महिलाओं का बहुत बड़ा योग्यदान है, जिन्होंने ट्रंप और उनकी नीतियों से परेशान होकर या घबरा कर हार नहीं मानी और एक बेहतर भविष्य के लिए वोट किया। अब जो बाइडेन राष्ट्रपति होंगे और कमला हैरिस उपराष्ट्रपति होंगी।

सौ साल से भी लंबे इतिहास में ये सबसे अनोखा दिन था। महिलाओं को लेकर कमरा हैरिस की सोच काफी हद तक यह बताती है कि उनके बाद भी वे किसी महिला को इस पद का उम्मीदवार देखना चाहती हैं।

महिलाएं किसी भी समाज का नींव हैं, जिसे बेहतर तरीके से संजोया जाए तो पूरे समाज का कल्याण हो सकता हैं। जो बाइडेन से ज्यादा लोगों को कमला हैरिस से उम्मीद है। वे पहली अश्वेत महिला हैं, जिन्होने एक बेहतर भविष्य का सपना लोगों को दिखाया है। अभी अमेरिका के सामने कई तरह संकट हैं। कोरोना वायरस से लोगों को निकालना, अपनी विदेश नीति को प्रमुखता देना, चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोकना और उन एक प्रतिशत भारतीय की उम्मीद को पूरा करना।
’अनिमा कुमारी, पटना