उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, प्रदेश का सियासत भी उतना ही अधिक गरमाने लगा है। आलम यह है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे के ऊपर जमकर निशाना साध रहे हैं। इस दरमियान सत्तारूढ़ दल विपक्षियों के इतिहास खंगालने में लगे हैं, वहीं विपक्षी दल भी मौके को भुनाते हुए सत्ता पक्ष की हवा ढीली करने में लगे हुए हैं। भाजपा जहां हिंदुत्व के सहारे आगे बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस और अन्य पार्टियां अपनी नैया खेने में लगी है। आरोप-प्रत्यारोप के इस सियासी खेल में माहौल इतना अधिक गरम हो गया है कि नेता लोग देवी-देवताओं को भी नहीं बख्श रहे हैं।
सवाल उठता है कि क्या आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति किसी भी राज्य या देश के लिए सही है? यह कहीं से भी उचित नहीं है कि कोई भी नेता किसी भी धर्म के बारे में गलत बोले। चोट पहुंचाने वाली बयानबाजी के अलावा शायद नेताओं के पास कोई मुद्दा भी नहीं होता है। किसी भी नेता ने कभी शिक्षा की बात नहीं की, महंगाई का समाधान नहीं तलाशा, देश को वास्तव में विकसित करने, बच्चों में कुपोषण दूर करने के बारे में नहीं सोचा, बेरोजगारी हटाने की बात नहीं की। आज के नेताओं में समाज के प्रति कोई आस्था नहीं दिखती है। अब यह देखना होगा कि उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में चुनाव आयोग का डंडा किस तरह से चलता है!
’शशांक शेखर, नोएडा, उप्र
उथला ज्ञान
पिछले दिनों मशहूर अदाकारा कंगना रनौत को पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया गया। कंगना रनौत का विवादों से पुराना रिश्ता हो सकता है। मगर देश के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाना कंगना की शख्सियत को खास बना देता है। जब तक लोग कंगना रनौत के इतिहास को समझ पाते, पद्मश्री अदाकारा ने देश के सामने एक नया इतिहास रख दिया। इतिहास के जो विद्यार्थी, नौकरशाह, राजनेता आजादी की गाथा सुनाते थकते नहीं थे, आज सकते में हैं। आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, कंगना के बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
पद्मश्री कंगना रनौत की मानें तो यह राष्ट्रीय कार्यक्रम भीख मांगी आजादी का जश्न है। इस अप्रत्याशित बयान ने एक झटके में सभी राष्ट्रीय प्रतिमानों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आजादी का मतलब और आजादी के लिए जान गंवाने वालों पर राय जुदा हो सकती है, मगर एक सम्मानित व्यक्ति द्वारा अनर्गल तर्क के आधार पर इतिहास को पलट देना कितना उचित है? कंगना रनौत की उपलब्धियां और उन्हें मिला सम्मान देश के लोगों की भावना, अवधारणा और सपनों को आहत करने का हक नहीं देता!
’एमके मिश्रा, रातू, रांची, झारखंड</p>