पिछले दिनों जेएनयू में हुई घटना से पूरे देश में बहस खड़ी हो गई लगती है। इसके लिए जो भी जिम्मेदार लोग हैं, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। पर इसके लिए भी अपने कुछ नियम-कायदे हैं, जिनका पालन किया जाना चाहिए। सबसे पहले दोषी लोगों की पहचान की जानी चाहिए थी। उसके बाद ही किसी की गिरफ्तारी की जानी चाहिए थी।
किसी छात्र की बिना किसी जांच के गिरफ्तारी और उस पर देशद्रोह का केस लगाना, यह एक लोकतांत्रिक सरकार की कैसी नीति है। इससे तो सरकार खुद अपने लिए ही मुसीबतें पैदा कर रही है और विद्यार्थियों के मन में अपने प्रति दुराग्रह का विचार पैदा करने को मजबूर कर रही है।
इस घटना के लिए कुछ लोग दोषी हो सकते हैं, इसके लिए पूरे विश्वविद्यालय को ही देशद्रोही गतिविधियों का अड्डा बताना कहां तक अच्छा है।
जिस विश्वविद्यालय ने देश को अच्छे नागरिक और सेवक दिए, उस पर इस तरह बिना किसी मजबूत आधार के सवालिया निशान लगाना गलत होगा। इसलिए सरकार और उसके मंत्रियों को चाहिए कि वे सोच-समझ कर बयान दें। उलटे-सीधे और बिना प्रामाणिकता की जांच के दिए गए बयान लोगों के मन में एक दुराग्रहपूर्ण भाव बैठाएंगे।
’मोहन मीना, बीएचयू, वाराणसी</strong>